नई दिल्ली: भारत के लिए गर्व की बात है कि 41 साल बाद एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, सफलतापूर्वक अंतरिक्ष मिशन पूरा कर 14 जुलाई को धरती पर लौट रहे हैं। शुभांशु अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में 17 दिन बिताने के बाद वापस आ रहे हैं।
| एक्सियम-4 मिशन पर गए शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को धरती पर लौटेंगे। |
इससे पहले, 13 जुलाई की शाम को हुई फेयरवेल सेरेमनी में उन्होंने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का प्रसिद्ध डायलॉग दोहराते हुए कहा, "भारत आज भी सारे जहां से अच्छा है।"
🔸 25 जून को शुरू हुआ था मिशन, 4 दिन की देरी से होगी वापसी
शुभांशु का यह मिशन एक्सियम-4 (Axiom-4) का हिस्सा था, जिसे अमेरिकी कंपनी Axiom Space, NASA और SpaceX की साझेदारी में अंजाम दिया गया।
- मिशन की लॉन्चिंग: 25 जून, कैनेडी स्पेस सेंटर (फ्लोरिडा)
- ISS पर डॉकिंग: 26 जून, 28 घंटे की यात्रा के बाद
- तय अवधि: 14 दिन, लेकिन 4 दिन की देरी से वापसी
स्पेस स्टेशन से शुभांशु शुक्ला की तस्वीरें...
| शुभांशु शुक्ला ने ISS के कपोला मॉड्यूल की खिड़कियों से धरती का खूबसूरत नजारा देखा। |
| तस्वीरों में शुभांशु शुक्ला के चेहरे पर मुस्कुराहट रही, वे स्वस्थ और खुश नजर आए। |
| शुभांशु ने कपोला मॉड्यूल के अंदर कैमरे से पृथ्वी की तस्वीरें भी खींचीं। |
| केंद्र सरकार ने X पर लिखा था- शुभांशु ने अंतरिक्ष में सितारों के बीच भारत का प्रतिनिधित्व किया। |
🔹 ISS में वैज्ञानिक शोध और भारत की ओर से 7 प्रयोग
इस मिशन के दौरान शुभांशु ने ISS में भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों द्वारा डिजाइन किए गए 7 जैविक और वैज्ञानिक प्रयोग किए। साथ ही NASA के साथ 5 अन्य महत्वपूर्ण परीक्षणों में भाग लिया।
इन प्रयोगों से भारत के आगामी गगनयान मिशन को महत्वपूर्ण डेटा और अनुभव मिलेगा।
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| तस्वीर 26 जून की है, जब स्पेस स्टेशन का हैच खुलने के बाद शुभांशु ने एंट्री की थी। वे साथी एस्ट्रोनॉट से गिले मिले थे। |
🟠 मोदी से बोले— अंतरिक्ष से कोई सीमा नहीं दिखती
28 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु से वीडियो कॉल पर बातचीत की।
PM ने पूछा: "अंतरिक्ष से देखकर पहला एहसास क्या था?"
शुभांशु बोले:
"कोई सरहद नहीं दिखती, पूरी धरती एक है।"
उन्होंने यह भी बताया कि वह दिन में 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त देखते हैं। साथ ही यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर गाजर का हलवा खाया।
🟤 अंतरिक्ष में विंडो से निहारी पृथ्वी की सुंदरता
6 जुलाई को सामने आई तस्वीरों में शुभांशु को ISS के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी को निहारते हुए देखा गया। यह मॉड्यूल एक डोम-आकार की संरचना है, जिसमें 7 पारदर्शी खिड़कियां होती हैं, जहां से एस्ट्रोनॉट पृथ्वी और अंतरिक्ष की गतिविधियों को नज़दीक से देख सकते हैं।
🟥 41 साल बाद भारत का अंतरिक्ष में कदम
1984 में राकेश शर्मा सोवियत मिशन के जरिए अंतरिक्ष गए थे। 41 साल बाद, शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के लिए बेहद अहम है।
उनके इस अनुभव का इस्तेमाल भारत के पहले मानव मिशन गगनयान में किया जाएगा, जिसकी लॉन्चिंग 2027 में प्रस्तावित है। गगनयान मिशन का लक्ष्य है — भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित वापस लाना।
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| स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला को 634 नंबर का बैज दिया गया था। |
🧭 क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)?
ISS एक विशाल अंतरिक्ष यान है, जो हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से चलता है। इसमें एस्ट्रोनॉट माइक्रोग्रैविटी में विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं।
ISS को 5 अंतरराष्ट्रीय स्पेस एजेंसियों ने मिलकर बनाया है और इसका पहला हिस्सा 1998 में लॉन्च हुआ था।
✅ निष्कर्ष: भारत के लिए गौरव का क्षण
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के वैज्ञानिक और अंतरिक्षीय भविष्य को भी नई दिशा देने वाला कदम है। उनकी वापसी के साथ भारत एक बार फिर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।






