बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव हैं। यहां स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन जारी है। |
नई दिल्ली: चुनाव आयोग (Election Commission) ने बिहार के बाद अब देशभर में वोटर लिस्ट की विशेष गहन जांच की तैयारी कर ली है। इसे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कहा जाता है। आयोग अगस्त से इस प्रक्रिया की शुरुआत कर सकता है।
इस दौरान मतदाता सूचियों में दर्ज नामों की वैधता की पुष्टि की जाएगी, नए वोटर्स को शामिल किया जाएगा और फर्जी व अवैध नामों को हटाया जाएगा।
🔸 सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद आया फैसला
10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रहे SIR को संवैधानिक बताते हुए इसे जारी रखने की अनुमति दी थी। इसके बाद EC ने सभी राज्यों की चुनाव मशीनरी को एक्टिव मोड में ला दिया है।
हालांकि, SIR को लेकर विपक्षी दलों और कुछ संगठनों ने आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि इस प्रक्रिया के चलते कई योग्य नागरिक वोट देने के अधिकार से वंचित हो सकते हैं।
🔹 28 जुलाई के बाद देशव्यापी निर्णय
EC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयोग 28 जुलाई के बाद SIR पर अंतिम फैसला लेगा। क्योंकि बिहार में इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में एक और सुनवाई प्रस्तावित है।
इसी के आधार पर पूरे देश में एकरूपता के साथ प्रक्रिया लागू की जाएगी।
🟠 कई राज्यों में पुरानी वोटर लिस्ट फिर से सक्रिय
कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (Chief Electoral Officers) ने पिछली SIR के बाद की वोटर लिस्ट सार्वजनिक करना शुरू कर दिया है।
उदाहरण के लिए:
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दिल्ली की CEO वेबसाइट पर 2008 की वोटर लिस्ट उपलब्ध है।
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उत्तराखंड की वेबसाइट पर 2006 की सूची मौजूद है।
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बिहार में 2003 की वोटर लिस्ट को ही आधार मानकर सत्यापन किया जा रहा है।
आयोग का मानना है कि ये पुरानी लिस्ट ही नए रिवीजन में कट-ऑफ डेट के रूप में इस्तेमाल होंगी।
🟥 बिहार में विदेशी नागरिकों की मौजूदगी पर खुलासा
बिहार में चल रहे रिवीजन के दौरान EC अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्हें नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी नागरिक वोटर लिस्ट में मिले हैं।
अधिकारियों के मुताबिक,
- “1 अगस्त से इन संदिग्ध नामों की जांच शुरू की जाएगी और 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम सूची से इन्हें हटाया जाएगा।”
🟤 वोटर फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 25 जुलाई
वोटर गणना फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 25 जुलाई 2025 है। यह प्रक्रिया 24 जून को शुरू हुई थी और अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।
EC अधिकारियों के अनुसार, इस बार सूची में नए वोटर्स का समावेश, फर्जी नामों की पहचान, और अवैध प्रवासियों की छंटनी प्रमुख फोकस रहेगा।
✅ निष्कर्ष: वोटिंग अधिकारों की सुरक्षा के लिए बड़ी पहल
चुनाव आयोग की यह पहल मतदाता सूची को साफ-सुथरा और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। हालांकि राजनीतिक और कानूनी बहसें अभी जारी हैं, लेकिन आयोग साफ है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुद्धता बनाए रखना उसका सर्वोच्च उद्देश्य है।


