नई दिल्ली: कैश कांड में घिरे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को दोषी ठहराने वाली जांच रिपोर्ट को चुनौती दी है। उन्होंने अपनी अपील में कहा है कि जांच प्रक्रिया न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ रही और उन्हें अपनी सफाई देने का पूरा अवसर नहीं दिया गया।
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| जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। |
यह याचिका ऐसे समय पर आई है जब संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। इस सत्र में केंद्र सरकार द्वारा जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए प्रस्ताव लाया जा सकता है।
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| यह तस्वीर 14 मार्च की है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में 500-500 के नोट जले थे। |
क्या है जस्टिस वर्मा का कैश कांड?
14 मार्च को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर आग लगी थी। उसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वहां से 15 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए, जिनमें से कई नोट जल गए थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने 10 दिन की जांच में 55 गवाहों के बयान लिए और पाया कि आरोप गंभीर हैं।
| स्टोर रूम यहीं आग लगने के बाद जले नोट मिले थे। |
जांच रिपोर्ट की 5 बड़ी बातें:
- नकदी देखी गई: 10 से अधिक चश्मदीदों ने स्टोर रूम में जले हुए 500-500 रुपये के नोट देखे।
- वीडियो साक्ष्य मौजूद: जस्टिस वर्मा ने घटनास्थल के वीडियो और आरोपों का खंडन नहीं किया।
- कर्मचारियों की गवाही: घरेलू कर्मचारियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने जले हुए नोट स्टोर से निकाले।
- बेटी का बयान गलत: उनकी बेटी दीया ने कर्मचारी की आवाज पहचानने से इनकार कर दिया, जबकि कर्मचारी ने पुष्टि की।
- कोई रिपोर्ट नहीं की गई: जस्टिस वर्मा ने इसे साजिश बताया लेकिन पुलिस में रिपोर्ट नहीं की और चुपचाप ट्रांसफर स्वीकार कर लिया।
| यह तस्वीर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी की गई थी। इसमें 500 रुपए के नोटों की जली हुई गड्डियां नजर आ रही हैं। |
राजनीतिक हलचल और संसद में प्रस्ताव
इस पूरे मामले के बीच केंद्र सरकार ने जस्टिस वर्मा को हटाने की तैयारी शुरू कर दी है। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए सांसदों से हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं। लोकसभा में ऐसा प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के साइन जरूरी हैं।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पहले ही संकेत दिया था कि 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में यह प्रस्ताव लाया जाएगा।
फिलहाल, जस्टिस वर्मा को किसी भी तरह का न्यायिक कार्य सौंपने से रोका गया है।
लेख: Zordaar Headlines टीम द्वारा | स्रोत: मीडिया रिपोर्ट्स


