इंदौर जिला अस्पताल का निर्माण ठप, मरीजों को हर दिन 400 मीटर का चक्कर

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इंदौर। जिला अस्पताल की बहुमंजिला इमारत अभी भी अधूरी है। सीएमएचओ ने दो बार दौरा कर शीर्ष मंजिलों का काम एक माह में पूरा करने को कहा था, लेकिन अब तक केवल कमरों और टाइल्स तक ही सीमित काम हुआ है। एक्स‑रे और सोनोग्राफी कक्ष तो तैयार हैं, मगर मशीन इंस्टॉल नहीं हुई, लिफ्ट‑डक्ट अधूरे और ऑक्सीजन‑लाइन के बावजूद एमजीपीएस प्लांट अधूरा पड़ा है।

फ़ैक्ट: सिर्फ 10 दिन में तय लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सकता। ग्रामीण इलाकों व 100 कॉलोनियों की स्वास्थ्य उम्मीदें अब अधर में।

प्रत्येक मंजिल की अधूरी रूपरेखा

मंजिल योजनाबद्ध सुविधाएं
तल मंजिल एमआरआई, सीटी‑स्कैन, लैब, ओपीडी, एक्स‑रे, इमरजेंसी, मेडिसिन रूम
प्रथम मंजिल दो ऑपरेशन थिएटर, प्रसूता वार्ड, स्टाफ रूम और डॉक्टर्स कैबिनेट
दूसरी मंजिल 8 वार्ड, वेङ्क्षटग रूम और स्टाफ ड्यूटी रूम
तीसरी मंजिल मेडिसिन एवं सर्जरी के 4-4 वार्ड
चौथी मंजिल 2 ऑपरेशन थिएटर, रिकवरी रूम, नर्सिंग & डॉक्टर्स ड्यूटी रूम

मरीजों को 400 मीटर का चक्कर


बुजुर्ग और दिव्यांग मरीज सरकारी क्वाटर्स में संचालित ओपीडी में पहुंचने के लिए लगभग 400 मीटर चलकर रजिस्ट्रेशन, ओपीडी, लैब और दवा काउंटर तक पहुंचते हैं। प्रतिदिन करीब 350 मरीज आते हैं, जिनमें 40% बुजुर्ग शामिल हैं।

समस्या: 75 वर्षीय सुनील शर्मा की मां के लिए रैंप न होने से इलाज में मुश्किलें। “रैंप की कमी की वजह से सीढ़ियां चढऩा बहुत कठिन होता है।”

सीएमएचओ ने दी चेतावनी

सीएमएचओ ने निर्माण एजेंसी को एक माह में तल व पहली मंजिल का काम पूरा करने की चेतावनी दी थी। लेकिन अब तक केवल कमरों और फॉल्स सीलिंग का काम ही शुरू हुआ है।


© Zordaar Headlines | रिपोर्ट: अमीन सिसगर

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