इंदौर | राजनीतिक संवाददाता
मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ सख्त तेवरों में नजर आए। इस बार उनका निशाना था राज्य का वन विभाग। शुक्रवार को इंदौर में नगर निगम द्वारा आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम के मंच से मंत्री विजयवर्गीय ने खुले तौर पर कहा कि वन विभाग समय पर पौधे नहीं दे रहा और पूरा सहयोग नहीं कर रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में मंत्री विजयवर्गीय ने कहा, “अब तक हम 7 लाख पेड़ लगा चुके हैं, 51 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य है, लेकिन वन विभाग से वैसा सहयोग नहीं मिल रहा जैसा मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री जी विदेश यात्रा पर जाने से पहले वन विभाग को सख्त निर्देश दें।”
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान का जिक्र
यह बयान उस समय आया जब नगर निगम के “एक पेड़ मां के नाम” अभियान को एक वर्ष पूर्ण हुआ है। इसी क्रम में 12 जुलाई को रेवती रेंज पहाड़ी पर 20,000 पौधों का वृक्षारोपण किया जाएगा। पिछले साल इसी स्थान पर रिकॉर्ड 12 लाख पौधे लगाए गए थे, जिसे विश्व रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया था। इस वर्ष भी स्कूली बच्चों, कॉलेजों, स्वयंसेवी संस्थाओं और औद्योगिक संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
सरकार पर हमला कोई नई बात नहीं
यह पहला मौका नहीं है जब मंत्री विजयवर्गीय ने मंच से सरकारी कामकाज पर सवाल उठाए हों। बीते एक साल में उन्होंने कई बार अपनी ही सरकार और अधिकारियों को चेतावनी दी है:
1. 21 सितंबर 2024 - नशे के खिलाफ पुलिस को चेतावनीपरदेशीपुरा पुलिस को मंच से सख्त लहजे में कहा:
"तीन दिन में नशे का कारोबार बंद होना चाहिए, वरना चौथे दिन कार्रवाई होगी। अगर कोई नेता भी सिफारिश करे, तो भी न मानी जाए।"
2. 15 अक्टूबर 2024 - नशे के तार राजस्थान से जुड़े
एक फ्लाईओवर के उद्घाटन कार्यक्रम में विजयवर्गीय ने CM से कहा:
"नशे का कारोबार अब सीमापार जुड़ चुका है। प्रतापगढ़ (राजस्थान) से तार जुड़े हैं। आपको भोपाल से सख्त निर्देश जारी करने होंगे।"
3. 10 नवंबर 2023 - इंदौर का नाइट कल्चर और शराबखोरी पर आपत्ति
"घर में पियो, चौराहों पर मत झूमो। इंदौर की संस्कृति बदनाम हो रही है। नाइट कल्चर परिवारों के लिए है, न कि नशे के लिए।"
इसके बाद 13 जुलाई को सरकार ने रात 11 बजे के बाद दुकानें बंद करने के आदेश जारी कर दिए थे।
क्या फिर बढ़ेगा सरकार में असहजता का माहौल?
कैलाश विजयवर्गीय न केवल वरिष्ठ नेता हैं, बल्कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट के प्रभावशाली मंत्री भी हैं। बार-बार मंच से सरकार की कमियों को उजागर करना पार्टी और प्रशासन, दोनों के लिए असहजता का कारण बन सकता है। हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि विजयवर्गीय केवल जनहित की बात करते हैं और उनका मकसद कार्यप्रणाली में सुधार लाना है।
निष्कर्ष:
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर “सिस्टम के भीतर से सिस्टम को आईना दिखाने” के अंदाज में नजर आए। चाहे नशे के खिलाफ मुहिम हो या वृक्षारोपण में वन विभाग की ढिलाई, उनकी हर टिप्पणी सीधे व्यवस्था को चुनौती देती है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उनके इन बयानों को किस नजरिए से लेते हैं—आलोचना या आत्मनिरीक्षण के रूप में।
