पाक हाई कमीशन से था हारून का सीधा कनेक्शन
दिल्ली में स्क्रैप का काम करने वाला मोहम्मद हारून पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात रहे स्टाफर मोहम्मद मुजम्मिल हुसैन का करीबी बताया जा रहा है। गौरतलब है कि मुजम्मिल को भारत सरकार पहले ही ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर देश से बाहर निकाल चुकी है। हारून पर आरोप है कि उसने दिल्ली समेत कई महत्वपूर्ण स्थानों की खुफिया जानकारियां मुजम्मिल को मुहैया कराईं, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान के एजेंसियों द्वारा भारत के खिलाफ किया जा सकता था।
तुफैल के संपर्क में थे 600 पाकिस्तानी नागरिक
दूसरा आरोपी तुफैल वाराणसी से गिरफ्तार हुआ है। एटीएस की जांच में सामने आया है कि तुफैल 600 से अधिक पाकिस्तानी नागरिकों के संपर्क में था और वह राजघाट, नमो घाट, ज्ञानवापी, वाराणसी रेलवे स्टेशन और लाल किला जैसे संवेदनशील स्थलों की तस्वीरें पाकिस्तान भेज चुका था।
चौंकाने वाली बात यह है कि तुफैल पाकिस्तान की सेना के एक अधिकारी की पत्नी नफीसा के संपर्क में था और उसने कई पाकिस्तानी व्हाट्सएप ग्रुप्स के लिंक वाराणसी के लोगों के बीच साझा किए, जिससे लोग सीधे पाकिस्तान की एजेंसियों से जुड़ सकें।
नफरत फैलाने वाले वीडियो और संदेश भी साझा किए
एटीएस के मुताबिक तुफैल ने सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले संदेशों का भी आदान-प्रदान किया। वह पाकिस्तान समर्थक संगठन ‘तहरीक-ए-लब्बैक’ के नेता मौलाना शाद रिजवी के वीडियो और ‘बाबरी मस्जिद का बदला लेने’, ‘शरीयत लागू करने’ जैसे संदेश साझा कर रहा था।
एटीएस कर रही है गहराई से जांच
दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है और एटीएस यह जानने में जुटी है कि इनके संपर्क में और कौन-कौन लोग थे और क्या भारत में कोई बड़ा आतंकी नेटवर्क सक्रिय है। शुरुआती जांच में यह मामला देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है।
सरकार और एजेंसियों की सजगता से टला बड़ा खतरा
एटीएस की मुस्तैदी और खुफिया एजेंसियों के सहयोग से देश में एक बड़ी साजिश को समय रहते बेनकाब किया गया है। दोनों आरोपियों के खिलाफ अब राजद्रोह, आईटी एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की जा रही है।

