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केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने 11 जनवरी को आरोप लगाया था कि AAP की शराब नीति से सरकार को 2026 करोड़ का नुकसान हुआ। |
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा विधायकों द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने दिल्ली विधानसभा में CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि संविधान के तहत CAG रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य है, लेकिन विधानसभा की बैठक बुलाने के लिए अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है।
हाईकोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, "संविधान में CAG की रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य प्रावधान है। लेकिन अदालतें विधानसभा की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।" कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह भाजपा विधायकों की याचिका स्वीकार करने के इच्छुक नहीं है और विधानसभा के स्पीकर को सदन बुलाने का निर्देश नहीं दे सकता। हालांकि, अदालत ने यह भी माना कि दिल्ली सरकार ने CAG रिपोर्ट पेश करने में बहुत अधिक देरी की है।
भाजपा का आरोप: रिपोर्ट पेश करने में देरी
भाजपा विधायकों ने अपनी याचिका में दावा किया था कि दिल्ली सरकार ने CAG की 14 रिपोर्ट्स तैयार होने के बावजूद इन्हें सदन में पेश करने में जानबूझकर देरी की। उनका आरोप था कि AAP सरकार ने स्पीकर को समय पर रिपोर्ट भेजी ही नहीं। इससे पहले, 16 जनवरी को हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
CAG रिपोर्ट और शराब नीति विवाद
सूत्रों के मुताबिक, CAG की रिपोर्ट में दिल्ली की नई शराब नीति के कारण हुए राजस्व नुकसान का जिक्र है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। भाजपा ने आरोप लगाया कि AAP सरकार की नीति में कई अनियमितताएं थीं, जिसमें बिना उचित मंजूरी के निर्णय लिए गए।
नई शराब नीति पर CAG रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- बिना कैबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी के निर्णय: नई शराब नीति लागू करते समय कई अहम फैसले कैबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिए गए।
- लाइसेंस आवंटन में अनियमितताएं: कुछ क्षेत्रों में, जहां शराब की दुकान खोलने की अनुमति नहीं थी, वहां भी लाइसेंस दिए गए।
- लाइसेंस शुल्क में छूट: कोविड प्रतिबंधों के दौरान जनवरी 2022 में रिटेल लाइसेंस धारकों को 144 करोड़ रुपये की छूट दी गई, लेकिन इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी नहीं ली गई।
- शिकायतों की अनदेखी: शिकायतों के बावजूद कुछ कंपनियों को नीलामी में भाग लेने की अनुमति दी गई और घाटे में चल रही कंपनियों के लाइसेंस रिन्यू कर दिए गए।
भाजपा और केंद्रीय मंत्री का आरोप
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने 11 जनवरी को आरोप लगाया था कि AAP सरकार की शराब नीति के कारण दिल्ली को 2026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। भाजपा नेताओं ने CAG की लीक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि यह नीति भ्रष्टाचार और घोटालों से भरी थी।
दिल्ली सरकार का जवाब
इस मामले पर दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा कि विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है, इसलिए रिपोर्ट नए कार्यकाल में पेश की जा सकती है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट पेश करने में देरी का कोई उद्देश्य नहीं है।
शराब नीति विवाद: AAP नेताओं पर आरोप
2021 में लागू की गई नई शराब नीति को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा। नीति में लाइसेंस आवंटन से जुड़े कई सवाल उठाए गए। विवाद बढ़ने के बाद नीति वापस लेनी पड़ी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। दोनों को जेल भी जाना पड़ा, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई।
LG ने केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल की अनुमति दी
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 21 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति दी। ED ने मार्च 2024 में केजरीवाल पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। फिलहाल, केजरीवाल जमानत पर बाहर हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि CAG रिपोर्ट पेश करना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है, लेकिन विधानसभा की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना न्यायिक दायरे से बाहर है। हालांकि, CAG रिपोर्ट और शराब नीति पर उठे सवालों ने दिल्ली सरकार की पारदर्शिता और ईमानदारी पर गंभीर चिंताएं खड़ी की हैं।