सड़क दुर्घटना में बैंक अधिकारी की मौत पर परिवार को मिला 1.05 करोड़ का मुआवजा

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  दोनों गाड़ियों का बीमा एक ही कंपनी से था। प्रितेश पांडे के परिवार को पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस के 15 लाख रुपए पहले ही मिल चुके थे।  
इंदौर। इंदौर में हुई एक सड़क दुर्घटना में बैंक अधिकारी प्रितेश पांडे की मौत के मामले में कोर्ट ने उनके परिवार को 1.05 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला इस कारण भी चर्चा में रहा क्योंकि दुर्घटना में शामिल दोनों गाड़ियों का बीमा एक ही कंपनी से था।

दुर्घटना का विवरण

51 वर्षीय प्रितेश पांडे, जो बैंक ऑफ बड़ौदा में चीफ मैनेजर के पद पर कार्यरत थे, 24 फरवरी 2023 की रात अपनी कार से घर लौट रहे थे। इंदौर-उज्जैन रोड पर एक तेज गति से आ रहे कंटेनर ने उनकी कार को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि प्रितेश को सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आईं। उन्हें तुरंत सांवेर के सीएचसी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पत्नी आशा, बड़े बेटे कार्तिक और छोटे बेटे कौतिक के साथ स्व. प्रितेश पांडे की यह फोटो हादसे के कुछ दिन पहले ही ली गई थी।

परिवार का दावा और कोर्ट में मामला

दुर्घटना के बाद, प्रितेश के परिवार ने कंटेनर के मालिक, चालक और द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ 3.90 करोड़ रुपए का क्लेम केस दायर किया। परिवार ने कोर्ट में बताया कि प्रितेश की मासिक आय 1.62 लाख रुपए थी, और उनके निधन के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई।
प्रितेश पांडे के परिवार की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजेश खंडेलवाल ने कोर्ट में गवाह, सबूत और तर्क पेश किए।

कोर्ट में पेश किए गए सबूत

परिवार के वकील सीनियर एडवोकेट राजेश खंडेलवाल ने कोर्ट में सभी जरूरी दस्तावेज और सबूत पेश किए, जिनमें प्रितेश का नियुक्ति पत्र, वेतन स्लिप, ड्राइविंग लाइसेंस, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और दुर्घटनास्थल के प्रमाण शामिल थे। गवाहों ने बताया कि कंटेनर चालक ने बिना साइड इंडिकेटर दिए वाहन मोड़ा, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई।

बीमा कंपनी के तर्क

बीमा कंपनी ने मुआवजे के खिलाफ कई तर्क दिए। उन्होंने कहा कि कंटेनर चालक के पास वैध लाइसेंस और फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं था। कंपनी ने यह भी दावा किया कि दुर्घटना प्रितेश पांडे की गलती से हुई और उन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी। इसके अलावा, कंपनी ने यह दलील दी कि परिवार को पहले ही 15 लाख रुपए पर्सनल एक्सीडेंट बीमा के तहत दिए जा चुके हैं।

कोर्ट का फैसला

सभी पक्षों की दलीलें और सबूतों को सुनने के बाद, कोर्ट ने प्रितेश पांडे के परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने बीमा कंपनी को 1.05 करोड़ रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसमें 28 अप्रैल 2023 से 6% ब्याज भी शामिल है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पर्सनल बीमा के तहत मिले 15 लाख रुपए इस राशि से घटाए नहीं जाएंगे।

परिवार का बयान

प्रितेश की पत्नी आशा ने कहा, "यह हक की लड़ाई थी। मेरे पति की गलती नहीं थी। कोर्ट ने हमें न्याय दिया है। यह राशि हमारे छोटे बेटे की पढ़ाई, परिवार के भरण-पोषण और अन्य आवश्यकताओं में मदद करेगी।"

न्याय की मिसाल

यह मामला दुर्घटना पीड़ितों के लिए न्याय की एक मिसाल है। यह दिखाता है कि सही दस्तावेज और साक्ष्यों के आधार पर न्याय पाना संभव है, चाहे बीमा कंपनियां कितनी भी आपत्तियां क्यों न उठाएं।

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