बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग पर चुनावी प्रतिबंध का खतरा, महफूज आलम का बड़ा दावा

0

 ढाका। बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ सामने आया है। अंतरिम सरकार के सलाहकार महफूज आलम ने एक चुनावी रैली में दावा किया है कि शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को आगामी चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

प्रो-बांग्लादेशी पार्टियों को ही मिलेगा मौका

महफूज आलम ने कहा कि चुनाव में सिर्फ उन पार्टियों को शामिल होने की इजाजत दी जाएगी, जो बांग्लादेश समर्थक हैं। इसमें खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात-ए-इस्लामी और अन्य छात्र संगठन शामिल हैं। उन्होंने अवामी लीग को बांग्लादेश विरोधी और फासीवादी करार देते हुए कहा कि इस पार्टी को अब राजनीति में पनपने का मौका नहीं मिलेगा।

शेख हसीना की गलतियों को सुधारने के बाद ही चुनाव

महफूज आलम ने कहा, "जब तक शेख हसीना सरकार की गलतियां सुधारी नहीं जातीं और जरूरी सुधार लागू नहीं होते, तब तक देश में चुनाव कराना संभव नहीं है।" अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस ने दो दिन पहले संकेत दिए थे कि देश में दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 में आम चुनाव हो सकते हैं।

महफूज ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरिम सरकार की प्राथमिकताओं में अपराधियों को सजा दिलाना, पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करना और निष्पक्ष चुनाव कराना शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 16 वर्षों में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।

छात्र आंदोलन के मास्टरमाइंड महफूज आलम

महफूज आलम को बांग्लादेश में छात्र आंदोलन का मास्टरमाइंड माना जाता है। अंतरिम सरकार बनने के बाद उन्हें विशेष सहायक का पद दिया गया था, लेकिन जल्द ही उनकी बढ़ती भूमिका को देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में सलाहकार बना दिया गया। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में मोहम्मद यूनुस ने उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि शेख हसीना सरकार को हटाने में महफूज आलम की अहम भूमिका रही।

अवामी लीग पर 100 से अधिक मुकदमे दर्ज

मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद शेख हसीना और उनकी पार्टी के खिलाफ 100 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं। अगर अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोका जाता है, तो इसका सीधा लाभ बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी और यूनुस समर्थित पार्टियों को मिलेगा।

बांग्लादेश की राजनीति में अनिश्चितता

यह स्थिति बांग्लादेश की राजनीति में गहरी अनिश्चितता और अस्थिरता का संकेत देती है। शेख हसीना की पार्टी को चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखने का निर्णय न केवल देश के लोकतांत्रिक ढांचे को प्रभावित करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सवाल उठाएगा।

विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि अवामी लीग को चुनाव से बाहर रखा गया, तो यह देश में एकतरफा राजनीति को बढ़ावा देगा। हालांकि, यूनुस और महफूज आलम की यह रणनीति बांग्लादेश में नई राजनीतिक ध्रुवीकरण की ओर इशारा करती है।

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)