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9 अगस्त की सुबह आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश मिली थी। 20 जनवरी को सेशन कोर्ट ने संजय को उम्रकैद की सजा सुनाई। |
माता-पिता का बदला रुख
सियालदह कोर्ट ने 20 जनवरी को दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद माता-पिता ने हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही थी। अब, उनका कहना है कि वे दोषी को फांसी देने के पक्ष में नहीं हैं। गार्गी गोस्वामी ने कहा, "हम चाहते हैं कि जो अन्य आरोपी हैं, उन्हें गिरफ्तार कर उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई हो। अगर फांसी से रेप रुकते, तो धनंजय चटर्जी को फांसी के बाद यह अपराध खत्म हो गए होते।"
हाईकोर्ट में CBI और बंगाल सरकार की अपील
कलकत्ता हाईकोर्ट में बंगाल सरकार और सीबीआई ने दोषी को फांसी की सजा देने की याचिका दायर की है। सोमवार को इस मामले में जस्टिस देबांगशु बसक और जस्टिस मोहम्मद शब्बार राशिदी की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और फैसला सुरक्षित रख लिया।
सीबीआई ने अदालत में कहा कि सजा पर्याप्त नहीं है और यह मामला 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' की श्रेणी में आता है। वहीं, बंगाल सरकार ने कहा कि चूंकि शुरुआत में जांच कोलकाता पुलिस ने की थी, इसलिए राज्य को अपील करने का अधिकार है।
दोषी के सुधरने की संभावना पर जोर
दोषी संजय रॉय की वकील सेनजुति चक्रवर्ती ने फांसी की सजा का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का हवाला दिया। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, अगर दोषी के सुधार की संभावना हो, तो फांसी से बचा जाना चाहिए।"
माता-पिता की पीड़ा: न्याय चाहिए, मुआवजा नहीं
सियालदह कोर्ट ने पीड़ित परिवार के लिए 17 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी, जिसमें 10 लाख रुपये डॉक्टर की मौत और 7 लाख रुपये रेप के लिए थे। इस पर पीड़ित के माता-पिता ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कोर्ट में हाथ जोड़कर कहा, "हमें न्याय चाहिए, मुआवजा नहीं।"
घटना और जांच का क्रम
8-9 अगस्त 2024 की रात आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। 9 अगस्त की सुबह उसका शव सेमिनार हॉल में मिला। इस मामले में दोषी संजय रॉय को पुलिस ने 10 अगस्त को गिरफ्तार किया।
सीबीआई ने कोर्ट में दायर चार्जशीट में बताया कि घटनास्थल और पीड़िता के शरीर से मिले डीएनए नमूने दोषी से मेल खाते हैं। संजय का ब्लूटूथ इयरफोन भी घटनास्थल पर मिला, जो अहम सबूत साबित हुआ।
फांसी के खिलाफ दलील
पीड़िता के वकील और परिवार का कहना है कि दोषी को फांसी देने से न्याय पूरा नहीं होगा। वे चाहते हैं कि अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कार्रवाई हो। उनका कहना है कि दोषी संजय अकेला इस घटना के लिए जिम्मेदार नहीं है।
न्याय के लिए लड़ाई जारी
पीड़ित परिवार ने कहा, "हम न्यायपालिका पर पूरा भरोसा करते हैं। हमें उम्मीद है कि सही और निष्पक्ष जांच से सभी आरोपियों को सजा मिलेगी।" वहीं, हाईकोर्ट के फैसले का सभी पक्षों को इंतजार है। इस केस ने एक बार फिर देश में रेप के खिलाफ सख्त कानूनों और सजा की बहस को हवा दे दी है।