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कोर्ट का फैसला
सीबीआई कोर्ट ने 18 जनवरी को इन पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया था। आज के फैसले में IG जहूर एच जैदी, DSP मनोज जोशी, SI राजिंदर सिंह, ASI दीप चंद शर्मा, ऑनरेरी हेड कॉन्स्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद और कॉन्स्टेबल रानित को उम्रकैद की सजा दी गई। साथ ही, सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। शिमला के तत्कालीन SP डीडब्ल्यू नेगी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
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कोर्ट में पेशी के दौरान IG जैदी (बीच में) और DSP मनोज जोशी (लाल स्वेटर में)। - फाइल फोटो |
क्या है मामला?
यह मामला जुलाई 2017 का है, जब शिमला के कोटखाई इलाके में 16 वर्षीय छात्रा (काल्पनिक नाम गुड़िया) का स्कूल से लौटते समय अपहरण कर लिया गया था। दो दिन बाद उसका शव निर्वस्त्र हालत में जंगल में मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने रेप और हत्या की पुष्टि की। इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया।
पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों, सूरज और राजू, को गिरफ्तार किया। हिरासत के दौरान, सूरज की मौत हो गई। पुलिस ने दावा किया कि राजू ने सूरज की हत्या की। लेकिन जनता का गुस्सा फूट पड़ा और कोटखाई पुलिस स्टेशन जलाने की कोशिश की गई।
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शिमला के तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यूडी नेगी जिन्हें बरी किया गया। |
CBI जांच में हुआ खुलासा
हिमाचल सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस हिरासत में टॉर्चर की वजह से हुई थी। एम्स के डॉक्टरों की रिपोर्ट में सूरज के शरीर पर 20 से ज्यादा चोटों के निशान पाए गए। इसके आधार पर सीबीआई ने IG जहूर एच जैदी सहित 9 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया।
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शिमला जिले के कोटखाई के तांगी के जंगल में इस हालत में मिला था नाबालिग का शव |
गुड़िया हत्याकांड में असली दोषी को मिली सजा
रेप और हत्या के मुख्य आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू को जून 2021 में विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अप्रैल 2018 में सीबीआई ने नीलू को गिरफ्तार किया था।
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IG जहूर एच जैदी और तत्कालीन DSP ठियोग मनोज जोशी को कोर्ट ले जाती पुलिस। - फाइल फोटो |
दोषी पुलिस अधिकारियों की उम्रकैद की सजा से उनकी नौकरी पर संकट गहरा गया है। इनमें से कुछ अधिकारी सेवा में हैं, जबकि अन्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं। DSP मनोज जोशी छठी IRB कोलर में तैनात हैं, जबकि SI राजेंद्र सिंह SDRF में सेवाएं दे रहे हैं।
जनता का गुस्सा और न्याय की उम्मीद
इस मामले ने राज्य में कानून-व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े किए थे। जनता ने प्रदर्शन कर न्याय की मांग की, और आज का फैसला उन सभी लोगों के लिए राहत भरा है जो न्याय की उम्मीद कर रहे थे।
फैसले का महत्व
सीबीआई कोर्ट का यह फैसला पुलिस हिरासत में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ एक सख्त संदेश है। इससे न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे देश में न्यायिक प्रणाली पर विश्वास बढ़ा है।