भारत-चीन के बीच फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा और डायरेक्ट फ्लाइट सर्विस

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कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारत और चीन के बीच 2013 और 2014 में दो समझौते हुए थे।

 नई दिल्ली: तीन साल के लंबे अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा और भारत-चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट सेवाएं जल्द ही फिर से शुरू होने जा रही हैं। हालांकि, इन सेवाओं के आरंभ होने की सटीक तिथियां अभी घोषित नहीं की गई हैं। यह जानकारी सोमवार को विदेश मंत्रालय ने साझा की। यह महत्वपूर्ण निर्णय भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच बीजिंग में हुई दो दिवसीय बैठक के दौरान लिया गया।

कोविड और सीमा विवाद के कारण थीं सेवाएं बंद

2020 में भारत-चीन सीमा विवाद और कोविड-19 महामारी के चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवाएं बंद कर दी गई थीं। डोकलाम विवाद और महामारी के कारण आपसी संबंधों में खटास आ गई थी।

2020 से पहले, हर महीने 539 सीधी उड़ानें भारत और चीन के बीच संचालित होती थीं, जिनमें 1.25 लाख से अधिक यात्रियों की क्षमता थी। सेवाओं के निलंबन के बाद यात्री सिंगापुर, थाईलैंड, हांगकांग और बांग्लादेश जैसे कनेक्टिंग हब का उपयोग कर रहे थे, जिससे यात्रा महंगी हो गई थी।

बीजिंग में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक हुई।
दोनों देशों के बीच सहयोग को मिलेगा बढ़ावा

विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों ने आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए कई अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाने पर भी सहमति व्यक्त की है। इनमें शामिल हैं:

  1. सीधी उड़ानों को पुनः शुरू करने के लिए तकनीकी टीमों के बीच जल्द चर्चा।
  2. मीडिया और थिंक टैंकों के बीच संवाद को बढ़ावा।
  3. भारत-चीन संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का संयुक्त रूप से आयोजन।
  4. हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने और सीमा पार नदियों पर सहयोग बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ स्तर की बैठक।

रूस के कजान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 5 साल बाद 23 अक्टूबर 2023 को द्विपक्षीय बातचीत हुई थी।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्व

कैलाश मानसरोवर हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के लिए अत्यंत पवित्र स्थान है। हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। कैलाश पर्वत की ऊंचाई लगभग 6,638 मीटर है और इसकी चढ़ाई पर प्रतिबंध है।

2020 से पहले हर साल लगभग 50,000 श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाते थे। हालांकि, पिछले तीन वर्षों में यह यात्रा बाधित रही।

विवादित क्षेत्रों से सेनाओं के पीछे हटने के बाद आया फैसला

डेमचोक और देपसांग जैसे विवादित क्षेत्रों से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने के बाद इन सेवाओं को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया। यह समझौता दोनों देशों के बीच 2013 और 2014 में हुए समझौतों के आधार पर किया गया है।

उत्तराखंड से दर्शन का नया विकल्प

यात्रा बंद होने के बाद से श्रद्धालु उत्तराखंड की व्यास घाटी से कैलाश पर्वत के दर्शन कर रहे थे। पिछले साल पहली बार भारतीय इलाके से लिपुलेख दर्रे के पास से कैलाश पर्वत के स्पष्ट दर्शन संभव हुए।

आशा की नई किरण

भारत-चीन के बीच फिर से डायरेक्ट फ्लाइट और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली से दोनों देशों के संबंधों में सुधार की उम्मीद की जा रही है। यह कदम सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है और लाखों श्रद्धालुओं के लिए राहत की बात है।

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