अयोध्या। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर भव्य और ऐतिहासिक आयोजन हो रहा है। यह कार्यक्रम भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता, और आधुनिकता के संगम का प्रतीक है। पवित्र विधि-विधान के साथ रामलला का पंचामृत अभिषेक किया गया, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का उपयोग हुआ। इसके पश्चात, उन्हें गंगाजल से स्नान कराया गया और स्वर्णजड़ित पीतांबर वस्त्र पहनाए गए। उनके मुकुट में जड़े हीरे ने उनकी दिव्यता को और भी प्रभावशाली बनाया।
श्रद्धालुओं की विशाल भागीदारी
इस ऐतिहासिक उत्सव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं भाग लिया और रामलला की पूजा-अर्चना की। उन्होंने लाखों श्रद्धालुओं के साथ इस महान अवसर को साझा किया। दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और अन्य राज्यों से हजारों भक्त अयोध्या में रामलला के दर्शन हेतु पहुंचे। राम मंदिर को विदेशी पुष्पों से सजाया गया, जिससे इसकी भव्यता और अधिक बढ़ गई। मंदिर ट्रस्ट ने अंगद टीला पर 5,000 श्रद्धालुओं के लिए जर्मन हैंगर टेंट में रामकथा का आयोजन किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए राम मंदिर को भारतीय सभ्यता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बताया। ट्रस्ट के अनुसार, इस दिन लगभग दो लाख भक्त रामलला के दर्शन करेंगे। 11 से 13 जनवरी तक चलने वाले इस उत्सव में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन तीन दिनों में वीआईपी दर्शन स्थगित रहेंगे, ताकि आम जनता को निर्बाध दर्शन का अवसर मिल सके।
योगी आदित्यनाथ ने संघर्ष और संतों का स्मरण किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महंत दिग्विजयनाथ और अशोक सिंघल जैसे महापुरुषों के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि उनके गुरुदेव की अंतिम बातचीत अशोक सिंघल से हुई थी, जिसमें राम मंदिर निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता स्पष्ट थी। योगी ने भावुक होकर कहा, "राम मंदिर का निर्माण सदियों की तपस्या और बलिदान का परिणाम है। यह आंदोलन 1528 से प्रारंभ होकर 1992 तक निरंतर चला। आज हम उन संतों और धर्मयोद्धाओं का सम्मान कर रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन को इस उद्देश्य के लिए समर्पित किया।"
अयोध्या: परंपरा और प्रगति का प्रतीक
अयोध्या के विकास पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पवित्र नगरी आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत मेल प्रस्तुत करती है। फोर लेन और सिक्स लेन सड़कें, सरयू नदी के भव्य घाट, और तीर्थयात्रियों के लिए उत्कृष्ट सुविधाएं अयोध्या को एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित कर रही हैं।
योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को भारत की पहली सोलर सिटी बताते हुए इसे सूर्यवंश की राजधानी का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में जलने वाली बिजली पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर आधारित है। यह नवीकरणीय ऊर्जा और सांस्कृतिक धरोहर का अनुपम समागम है, जो अयोध्या को वैश्विक स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाने में सहायक है।
अयोध्या का अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा
मुख्यमंत्री ने रामायण काल के पुष्पक विमान का संदर्भ देते हुए कहा कि आज अयोध्या में एक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है, जो न केवल तीर्थयात्रियों के लिए बल्कि वैश्विक यात्रियों के लिए भी अत्यंत सुविधाजनक है। यह हवाईअड्डा आधुनिक प्रौद्योगिकी और धार्मिक परंपराओं के बीच सामंजस्य का उत्कृष्ट उदाहरण है।
सांस्कृतिक उत्सव का महत्व
तीन दिवसीय उत्सव में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। रामायण कालीन प्रसंगों पर आधारित झांकियां, रामलीला, और पारंपरिक संगीत प्रस्तुतियां श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। मंदिर परिसर और पूरे शहर में भंडारे एवं सामूहिक भोज की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालु इन आयोजनों में भाग लेकर इस पवित्र अवसर का आनंद ले रहे हैं।
निष्कर्ष
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ का यह आयोजन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की महानता का प्रतीक है। यह उत्सव इतिहास, परंपरा, और आधुनिकता के सामंजस्य को दर्शाता है और अयोध्या को एक वैश्विक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।