इंदौर: शासकीय एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में दूसरी बार एक जीवनदायिनी किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को सफलता मिली है। देवास निवासी 24 वर्षीय युवक की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं और वह बीते 5 वर्षों से डायलिसिस पर निर्भर था। लेकिन उसकी मां ने ममता का अनूठा उदाहरण पेश करते हुए अपनी एक किडनी देकर बेटे को जीवनदान दिया।
22 दिन तक डॉक्टरी निगरानी में रहा मरीज
डॉक्टर्स की टीम ने 1 जुलाई को ट्रांसप्लांट किया और फिर मरीज को 22 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखा गया। ट्रांसप्लांट सफल रहा और मंगलवार को युवक को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
आईजीए नेफ्रोपैथी से पीड़ित था युवक
अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुमित शुक्ला के अनुसार, युवक 'आईजीए नेफ्रोपैथी' नामक गंभीर किडनी बीमारी से जूझ रहा था। जब ट्रांसप्लांट का विकल्प सामने आया, तो मां ने तुरंत सहमति दे दी और कहा – “मेरी किडनी ले लो, मैं अपने बेटे को जीते हुए देखना चाहती हूं।”
यह डॉक्टर्स रहे टीम में शामिल
- डॉ. रितेश कुमार बनोदे (किडनी रोग विशेषज्ञ)
- डॉ. पद्ममिनी सरकारनुनगो
- डॉ. विशाल कीर्ति जैन (यूरोलॉजिस्ट)
- डॉ. अर्पण चौधरी
- डॉ. मानस, डॉ. दीप
- डॉ. दीप्ति सक्सेना (एनेस्थेटिक)
- डॉ. एकता चौरसिया (ट्रांसप्लांट इंचार्ज)
- डॉ. सुशील भाटिया
सफल ट्रांसप्लांट का आंकड़ा
| ट्रांसप्लांट | तारीख | रोगी की स्थिति |
|---|---|---|
| पहला | अक्टूबर 2023 | सफल |
| दूसरा | 1 जुलाई 2025 | सफल (डिस्चार्ज) |
अब हर माह दो ट्रांसप्लांट का लक्ष्य
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि आयुष्मान योजना के तहत सरकारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में अब हर महीने दो ट्रांसप्लांट किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद मरीजों को लाभ मिल सके।
निष्कर्ष
यह ट्रांसप्लांट न सिर्फ एक चिकित्सकीय सफलता है बल्कि एक मां की ममता और सरकार की स्वास्थ्य योजना का जीवंत उदाहरण भी है। आयुष्मान भारत योजना के तहत इस तरह की सुविधाएं आम लोगों को नया जीवन देने का कार्य कर रही हैं।
लेखक: जोरदार हेडलाइंस | तारीख: जुलाई 23, 2025
