| संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। |
नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर को पुनः पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की है। राहुल ने इस संबंध में आगामी मानसून सत्र में बिल लाने का आग्रह किया है, ताकि केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया जम्मू-कश्मीर फिर से राज्य बन सके।
📌 पीएम के पुराने वादों का भी किया जिक्र
राहुल गांधी ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी के दो पूर्व बयानों का हवाला भी दिया। उन्होंने लिखा कि 19 मई 2024 को भुवनेश्वर की रैली और 19 सितंबर 2024 को श्रीनगर में प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया था। अब समय आ गया है कि सरकार इस वादे को संसद में पूरा करे।
📍 लद्दाख को छठी अनुसूची में लाने की भी मांग
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार लद्दाख को भारत के संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए कानून लाए, ताकि स्थानीय आदिवासी संस्कृति और अधिकारों की रक्षा हो सके।
🔍 जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की कानूनी प्रक्रिया
2019 में जब अनुच्छेद 370 और 35A को हटाकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदला गया, तब सरकार ने यह कहा था कि हालात सामान्य होने पर जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा दिया जाएगा।
अब इसके लिए संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में बदलाव कर नया बिल पास करना होगा। यह संविधान की धारा 3 और 4 के अंतर्गत किया जा सकता है। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से राज्य का दर्जा बहाल हो जाएगा।
✅ राज्य का दर्जा मिलने के बाद क्या-क्या बदलेगा?
- पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन आ जाएगी
- भूमि, राजस्व, कर और प्रशासनिक कानून बनाने के अधिकार राज्य को मिलेंगे
- राज्यपाल का हस्तक्षेप सीमित होगा
- राज्य सरकार को एंटी करप्शन ब्यूरो और अधिकारियों के ट्रांसफर पर पूरा नियंत्रण मिलेगा
- वित्त आयोग से सीधी सहायता मिलेगी, केंद्र पर निर्भरता घटेगी
मंत्रियों की संख्या बढ़कर विधायकों के 15% तक हो सकेगी
📊 2024 में हुए विधानसभा चुनाव और स्थिति
अनुच्छेद 370 हटने के बाद अक्टूबर 2024 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए।
- नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने सबसे अधिक 42 सीटें जीतीं
- कांग्रेस को 6 और CPI(M) को 1 सीट
- भाजपा को 29 सीटें मिलीं
- PDP का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा भी हार गईं
🔴 राजनीतिक प्रतिक्रिया और संभावनाएं
राहुल गांधी की मांग पर फिलहाल केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अगर मानसून सत्र में सरकार यह बिल लाती है, तो यह जम्मू-कश्मीर के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है। साथ ही, लद्दाख के लोगों की संविधान में विशेष सुरक्षा की मांग भी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन चुकी है।
📢 निष्कर्ष
राहुल गांधी का यह पत्र सिर्फ एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक बहाली और लोकतांत्रिक व्यवस्था को फिर से मजबूत करने की दिशा में एक संवेदनशील और सार्थक पहल है। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है।


