नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा पर बड़ा बयान देते हुए कहा, "हम कल के हथियारों से आज की लड़ाई नहीं जीत सकते।" उन्होंने साफ तौर पर कहा कि विदेशी तकनीक पर निर्भर रहना हमारी युद्ध क्षमताओं को कमजोर करता है।
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| CDS ने ये बातें दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में UAV और C-UAS की प्रदर्शनी में कहीं। |
दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में UAV और C-UAS (Counter-Unmanned Aerial System) प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर जनरल चौहान ने कहा कि "ऑपरेशन सिंदूर" से यह साबित हुआ कि स्वदेशी एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी की आवश्यकता अब महज विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन चुकी है।
🇮🇳 ऑपरेशन सिंदूर से मिली चेतावनी
CDS के मुताबिक, “पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अनआर्म्ड ड्रोन्स से हमला किया, लेकिन हमारे सिस्टम ने अधिकतर को मार गिराया। कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह एक चेतावनी है कि हम आत्मनिर्भर बने।”
⚙️ विदेशी तकनीक पर निर्भरता एक खतरा
जनरल चौहान ने कहा, “हम इम्पोर्टेड टेक्नोलॉजी पर निर्भर नहीं रह सकते। इससे उत्पादन क्षमता घटती है और महत्वपूर्ण पुर्जों की कमी हो जाती है।”
🚁 ड्रोन्स की भूमिका पर विचार
CDS ने माना कि आधुनिक युद्ध में ड्रोन्स एक "क्रांतिकारी बदलाव" ला चुके हैं। उन्होंने कहा कि सेना ने हर स्तर पर इनका रणनीतिक और नवाचारपूर्ण इस्तेमाल किया है। लेकिन इनसे निपटने के लिए भी हमें समान रूप से सक्षम रहना होगा।
🗓️ 3 जून को CDS का बयान
3 जून को पुणे यूनिवर्सिटी में CDS ने कहा था कि पाकिस्तान की योजना भारत को 48 घंटे में झुकाने की थी, लेकिन 8 घंटे में ही उनकी रणनीति नाकाम हो गई। भारत ने आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया और पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
🕊️ ट्रंप की मध्यस्थता और सीजफायर की घोषणा
10 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाक सीजफायर की घोषणा करते हुए बताया था कि अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों देश युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं।
🧠 CDS का दृष्टिकोण: जीत का मतलब संख्या नहीं, रणनीति है
फाइटर जेट्स को लेकर पूछे गए सवाल पर CDS ने कहा, “नुकसान की संख्या नहीं, परिणाम और रणनीति मायने रखती है। यह कोई क्रिकेट मैच नहीं है।”
🔍 निष्कर्ष:
CDS अनिल चौहान का यह बयान आने वाले वर्षों में भारत की रक्षा नीति की दिशा तय कर सकता है। स्वदेशी एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी और आत्मनिर्भर सैन्य तैयारी को प्राथमिकता देना अब भारत के सुरक्षा ढांचे की जरूरत है।


