पालघर (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के पालघर में भाषा के मुद्दे ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के कार्यकर्ताओं ने एक ऑटो रिक्शा चालक की जमकर पिटाई कर दी, क्योंकि उसने मराठी न बोलते हुए वीडियो में स्पष्ट कहा था – "हिंदी और भोजपुरी में बोलूंगा, क्या करोगे? मैं मराठी नहीं बोलता।" यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद विवाद और तेज हो गया।
वायरल वीडियो के जवाब में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने उस ड्राइवर को पकड़कर ना केवल माफी मंगवाई बल्कि उसे कई थप्पड़ भी मारे। एक अन्य वीडियो में दिखाया गया है कि ड्राइवर हाथ जोड़कर कह रहा है – "गलती हो गई, अब मराठी में बोलूंगा।" इस दौरान "छत्रपति शिवाजी महाराज की जय" के नारे भी लगाए गए।
पूरा मामला 4 फोटो में समझिए...

वीडियो वायरल होने के बाद शिवसेना (UBT) के कार्यकर्ताओं ने ड्राइवर की जमकर पिटाई की। 
ऑटो ड्राइवर से कान पकड़कर माफी मंगवाई गई। 
ड्राइवर हाथ जोड़कर माफी मांगता है। साथ ही कहता है कि अब मराठी में बोलूंगा।
🔸 शिवसेना नेता बोले – सच्ची शिवसेना शैली में जवाब दिया
विरार शहर के शिवसेना (UBT) प्रमुख उदय जाधव ने बयान में कहा –
"जो कोई भी मराठी भाषा, महाराष्ट्र या मराठी मानुष का अपमान करेगा, उसे सच्ची शिवसेना की शैली में जवाब मिलेगा। हम चुप नहीं बैठेंगे। ऑटो ड्राइवर को उसकी हिम्मत के लिए सबक सिखाया गया है और उससे पूरे राज्य से माफी मंगवाई गई है।"
🔹 पुलिस ने कहा – कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली
पालघर पुलिस ने रविवार को कहा कि उन्हें इस मामले में अभी तक कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।
पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक –
"हमने वीडियो देखा है, लेकिन किसी ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। फिलहाल हम वीडियो की जांच कर रहे हैं।"
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| 30 जून को वायरल हुए वीडियो में MNS कार्यकर्ता दुकानदार को थप्पड़ मारते दिखे। |
⚫ इससे पहले ठाणे में MNS कार्यकर्ताओं ने पीटा था दुकानदार को
यह कोई पहला मामला नहीं है। दो हफ्ते पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने ठाणे में एक गुजराती दुकानदार की पिटाई कर दी थी। दुकानदार ने सिर्फ इतना पूछा था कि मराठी बोलना जरूरी क्यों है? इसके जवाब में कार्यकर्ताओं ने कहा – "यह महाराष्ट्र है, यहां मराठी बोलनी ही होगी।"
इस घटना का भी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने काशीमीरा थाने में MNS के सात कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया।
🟠 MNS नेता राज ठाकरे का पुराना बयान फिर चर्चा में
इस घटनाक्रम के बीच MNS प्रमुख राज ठाकरे का वह बयान फिर से चर्चा में है, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से अपील की थी कि
"राज्य के स्कूलों में पहली कक्षा से सिर्फ मराठी और अंग्रेजी पढ़ाई जाए, हिंदी को अनिवार्य न किया जाए।"
उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि सरकार हिंदी को अनिवार्य बनाएगी तो MNS आंदोलन करेगी।
🟤 राज्य सरकार ने हिंदी अनिवार्य का फैसला वापस लिया
16 अप्रैल को महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का निर्णय लिया था। परंतु कई संगठनों और राजनीतिक दलों के विरोध के बाद 22 अप्रैल को सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया था कि –
"अब छात्र तीसरी भाषा अपनी मर्जी से चुन सकेंगे, हिंदी अनिवार्य नहीं होगी।"
🔚 निष्कर्ष: भाषा पर राजनीति का असर आम नागरिक पर
पालघर की घटना से स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में भाषा को लेकर भावनाएं कितनी प्रबल हैं। जहां एक ओर भाषा के सम्मान की बात होती है, वहीं दूसरी ओर हिंसा और जबरदस्ती से स्थिति और तनावपूर्ण हो जाती है। प्रशासन के लिए यह ज़रूरी हो गया है कि वह ऐसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई कर, सामाजिक सौहार्द बनाए रखे।


