नई दिल्ली/द्रास। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि यह पाकिस्तान को सीधा संदेश था—"आतंकवाद के समर्थकों को बख्शा नहीं जाएगा।"
उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने शोक के साथ करारा जवाब भी दिया। यह संदेश न केवल आतंकियों को, बल्कि उन्हें शह देने वालों को भी था।
कारगिल विजय दिवस पर पूरा देश वीरों को कर रहा नमन
26 जुलाई 1999 को समाप्त हुए कारगिल युद्ध की 26वीं वर्षगांठ पर देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम हो रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा— "यह दिन वीर सपूतों के अद्वितीय साहस और राष्ट्रभक्ति की याद दिलाता है।"
दुश्मन को जवाब देना अब न्यू नॉर्मल है — जनरल उपेंद्र द्विवेदी
कारगिल युद्ध की प्रमुख घटनाएं
- 3 मई 1999: घुसपैठ की पहली जानकारी एक चरवाहे ने दी।
- 10 मई: भारत ने 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया।
- 26 जुलाई: युद्ध समाप्त, भारत की ऐतिहासिक जीत।
- 527 भारतीय जवान शहीद, 1363 घायल।
- पाकिस्तान के 3000+ सैनिक मारे गए (आधिकारिक आंकड़ों में सिर्फ 357)।
भारत के वीर योद्धा जिन्होंने दिल जीत लिया
- कैप्टन विक्रम बत्रा: 'ये दिल मांगे मोर'—परमवीर चक्र मरणोपरांत।
- कैप्टन मनोज पांडे: जौबार टॉप पर शहादत—परमवीर चक्र।
- सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव: टाइगर हिल के हीरो—परमवीर चक्र।
- कैप्टन सौरभ कालिया: पाक सेना की कैद में वीरगति—परमवीर चक्र।
कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना और नौसेना की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। ऑपरेशन तलवार और ऑपरेशन सफेद सागर से दुश्मन की कमर तोड़ दी गई।
निष्कर्ष
कारगिल विजय दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि वीरता, बलिदान और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है। ऑपरेशन सिंदूर ने ये स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब सिर्फ बात नहीं करता, करारा जवाब देना उसकी नीति बन चुकी है।
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