| ADR के मुताबिक- देश में 2764 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टिया हैं। |
नई दिल्ली। देश की 2764 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों (RUPP) में से 739 पार्टियों की वित्तीय जानकारी का विश्लेषण किया गया है। इनमें से कई ने केवल नाममात्र वोट हासिल किए हैं, लेकिन उनकी कमाई करोड़ों में है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में इन पार्टियों की कुल आय में 223% की जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
📊 ADR रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- देश में कुल RUPP पार्टियां: 2764
- 739 पार्टियों ने ही वित्तीय जानकारी दी
- 2025 पार्टियों ने कोई जानकारी नहीं दी
- 223% की आय में वृद्धि सिर्फ 1 साल में
- कुछ पार्टियों ने करोड़ों कमाए, जबकि वोट हजार भी नहीं
📍 गुजरात की 5 पार्टियों का मामला चौंकाने वाला
गुजरात की 5 RUPP पार्टियों ने 5 साल में सिर्फ 22,000 वोट हासिल किए, लेकिन ₹2,316 करोड़ की कमाई दिखाई है। इनमें से एक पार्टी ने अकेले एक साल में ₹1,158 करोड़ की आय दर्ज की।
| पार्टी नाम | कुल वोट | कमाई (₹ करोड़ में) |
|---|---|---|
| भारतीय नेशनल जनता दल | 11,496 | 957 |
| न्यू इंडिया यूनाइटेड पार्टी | 9,029 | 608 |
| सत्यवादी रक्षक पार्टी | 1,042 | 416 |
| जन मन पार्टी | 480 | 134 |
| सौराष्ट्र जनता पार्टी | 140 | 200 |
📌 कितनी पार्टियों ने जानकारी दी?
| राज्य | कुल पार्टियां | जानकारी नहीं दी |
|---|---|---|
| उत्तर प्रदेश | 744 | 71 |
| दिल्ली | 240 | 168 |
| तमिलनाडु | 230 | 180 |
| महाराष्ट्र | 216 | 161 |
| बिहार | 184 | 117 |
| आंध्र प्रदेश | 129 | 89 |
| मध्य प्रदेश | 107 | 65 |
| हरियाणा | 102 | 77 |
| गुजरात | 95 | 59 |
पंजाब, उत्तराखंड और गोवा जैसे राज्यों में भी कई पार्टियों ने कोई जानकारी नहीं दी।
🔎 ADR क्या है?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) एक गैर-सरकारी संगठन है जो चुनावी पारदर्शिता और सुधार के लिए कार्यरत है। इसकी स्थापना 1999 में IIM अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसरों और छात्रों ने की थी।
ADR के मुख्य कार्य:
- उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जांच और रिपोर्ट जारी करना
- राजनीतिक दलों की आय और खर्च की रिपोर्ट प्रकाशित करना
- चुनाव आयोग और RTI के माध्यम से आंकड़ों का संकलन
- चुनाव सुधार के लिए जनता को शिक्षित करना
निष्कर्ष: ADR की यह रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। यदि नाममात्र वोट पाने वाली पार्टियां भी करोड़ों में खेल रही हैं, तो यह जनता और चुनाव आयोग दोनों के लिए चिंता का विषय है।
