भ्रष्टाचार के आरोप में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अबुल बरकत गिरफ्तार, बिना वारंट पुलिस ने घर से उठाया

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बांग्लादेश में गुरुवार देर रात देश के जाने-माने अर्थशास्त्री अबुल बरकत को 297 करोड़ टका की धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।

ढाका।

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शुक्रवार को देश के चर्चित अर्थशास्त्री और समाजसेवी अबुल बरकत को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में जेल भेज दिया गया। उन पर जनता बैंक में अध्यक्ष रहते हुए 225 करोड़ रुपये के घोटाले में संलिप्तता का आरोप है।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, गुरुवार रात 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी बरकत के घर पहुंचे और उन्हें बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के हिरासत में ले गए। इस कार्रवाई के बाद शुक्रवार को कोर्ट में पेशी हुई, जहां भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (ACC) ने 3 दिन की रिमांड की मांग की। हालांकि अदालत ने रिमांड और जमानत पर कोई फैसला नहीं सुनाया और फिलहाल उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।

❖ क्या है मामला?

बरकत पर आरोप है कि उन्होंने रेडीमेड गारमेंट कंपनी ‘एनॉनटेक्स ग्रुप’ को गलत तरीके से कर्ज दिलवाया और जनता बैंक से जुड़े लगभग 2.97 अरब टका (करीब 225 करोड़ रुपये) का गबन किया।
आरोप है कि इस दौरान फर्जी दस्तावेज, काल्पनिक संपत्तियों और जमीन की अधिक कीमतें दर्शाकर लोन पास कराए गए। इस मामले में बरकत सहित 23 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर अतीउर रहमान का नाम भी शामिल है।

अबुल बरकत शुक्रवार को ढाका कोर्ट में पेश हुए। अदालत ने उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।

❖ बिना वारंट गिरफ्तारी, परिवार नाराज़

बरकत की बेटी अरुणी बरकत ने मीडिया को बताया कि रात में पुलिसकर्मी बिना कोई दस्तावेज दिखाए घर में घुस आए और उनके पिता को बेडरूम से उठा ले गए। उन्होंने आरोप लगाया कि परिवार को गिरफ्तारी की कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी।

अरुणी ने भावुक होकर कहा— “मेरे पिता ने 40 साल ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ाया। गरीबों और अल्पसंख्यकों के लिए जीवनभर काम किया। अब उन्हें बिना जांच-पड़ताल के जेल भेज दिया गया, ये अन्याय है।”


❖ हिंदुओं के समर्थन में मुखर रहे हैं बरकत

अबुल बरकत का नाम हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई में हमेशा आगे रहा है। वर्ष 2016 में उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि उत्पीड़न और संपत्ति पर अवैध कब्जा ऐसे ही जारी रहा, तो 2046 तक बांग्लादेश में कोई हिंदू नहीं बचेगा। उन्होंने यह भी दावा किया था कि 1964 से 2013 के बीच करीब 1.13 करोड़ हिंदू बांग्लादेश छोड़ने पर मजबूर हुए।

बरकत की चर्चित किताब ‘पॉलिटिकल इकोनॉमी ऑफ रिफॉर्मिंग एग्रीकल्चर लैंड-वाटर बॉडीज इन बांग्लादेश’ में उन्होंने सरकारी नीतियों और कट्टरपंथी संगठनों की आलोचना करते हुए स्पष्ट किया था कि कैसे 'शत्रु संपत्ति कानून' के जरिए 60% हिंदुओं की जमीनें हड़प ली गईं

❖ गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक साजिश?

बरकत की गिरफ्तारी को लेकर मानवाधिकार संगठनों और अल्पसंख्यक समुदायों में आक्रोश है। आरोप है कि नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार असहमति की आवाजों को कुचलने की कोशिश कर रही है। यूनुस पर जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों को बढ़ावा देने और सेक्युलर पार्टियों पर पाबंदी लगाने के आरोप भी लगे हैं।

इतिहास की किताबों में फेरबदल से लेकर, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों तक, यूनुस सरकार की नीतियां आलोचना के घेरे में हैं।

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