अजय दास ने कहा, "यह कोई बिग बॉस का शो नहीं है, जिसे कुंभ के दौरान एक महीने के लिए चलाया जाए। लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को मैंने किन्नर समाज के उत्थान और धर्म प्रचार-प्रसार के लिए आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था, लेकिन वह भटक गईं। इस कारण मुझे यह कदम उठाना पड़ा।"
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अजय दास का लेटर। |
लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने दावों को किया खारिज
लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने अजय दास के दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, "अजय दास कौन होते हैं मुझे अखाड़े से निकालने वाले? 2016 में ही उन्हें किन्नर अखाड़े से बाहर कर दिया गया था। वह अपने निजी स्वार्थ के लिए इस तरह के दावे कर रहे हैं।"
इस मामले पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "हम लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी के साथ हैं। अजय दास कौन हैं? हम उन्हें नहीं जानते।"
अजय दास ने जारी किया पत्र
अजय दास ने एक पत्र जारी कर दावा किया, "2015-16 के उज्जैन कुंभ में मैंने लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर नियुक्त किया था। लेकिन अब मैं उन्हें इस पद से मुक्त करता हूं और जल्द ही इसकी लिखित सूचना दी जाएगी। उन्होंने मेरी अनुमति के बिना 2019 के प्रयागराज कुंभ में जूना अखाड़ा के साथ लिखित समझौता किया, जो अनैतिक और चारसौबीसी है।"
उन्होंने आगे कहा, "लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने सनातन धर्म और समाज हित को छोड़कर ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना दिया, जो न तो जूना अखाड़ा के सिद्धांतों के अनुरूप है और न ही किन्नर अखाड़े के।"
संन्यास प्रक्रिया पर उठाए सवाल
अजय दास ने कहा कि किन्नर अखाड़े की स्थापना के समय संतों को वैजयंती माला धारण कराई गई थी, जो श्रृंगार की प्रतीक है। लेकिन अब कुछ लोगों ने उसे त्यागकर रुद्राक्ष की माला धारण कर ली, जो संन्यास का प्रतीक है। संन्यास बिना मुंडन संस्कार के मान्य नहीं होता, ऐसे में यह सनातन धर्म प्रेमियों और समाज के साथ छलावा है।
अखाड़ा परिषद ने किया त्रिपाठी का समर्थन
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, "किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर को हटाने का कोई औचित्य नहीं है। लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को हटाने वाले ऋषि अजय दास कौन हैं? उन्हें कोई नहीं जानता। अब अचानक वह कहां से आ गए? अखाड़ा परिषद इस मामले पर सख्त कदम उठाएगा और किन्नर अखाड़े का समर्थन करेगा।"
ममता कुलकर्णी का हुआ था पट्टाभिषेक
गौरतलब है कि 24 जनवरी को ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। संगम में स्नान के बाद उनका पिंडदान कराया गया था और फिर सेक्टर-16 स्थित किन्नर अखाड़े में भव्य पट्टाभिषेक समारोह आयोजित किया गया था। इसके बाद उन्हें नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि दिया गया था। वे करीब सात दिनों तक महाकुंभ में रहीं।
विवाद के बीच बढ़ी हलचल
इस पूरे घटनाक्रम के बाद किन्नर अखाड़े में हलचल तेज हो गई है। अब देखना यह होगा कि अखाड़ा परिषद और संत समाज इस विवाद पर आगे क्या कदम उठाते हैं।