इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना की निगरानी अब सीधे पीएमओ से, भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया तेज

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इंदौर। इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना के कार्य में अब तेजी आने की उम्मीद है, क्योंकि इसकी निगरानी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा की जा रही है। इंदौर जिले में भूमि अधिग्रहण के आदेश जारी हो चुके हैं, जिससे परियोजना को गति मिलने की संभावना है। यह रेल मार्ग 309 किलोमीटर लंबा होगा और इंदौर को सीधे मुंबई से जोड़ेगा।

सरदारपूर अमझेरा के मध्य रेल्वे लाइन निर्माण के कार्य प्रारंभ करने के अवसर पर भूमि पूजन तथा पुल निर्माण का कार्य प्रारंभ।
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू, 13 जिलों में होगा अधिग्रहण

सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि इस परियोजना के लिए 13 जिलों की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। महू क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के लिए अधिकारी की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है, जिससे कार्य शीघ्रता से पूरा हो सके। इस परियोजना को केंद्र सरकार से 18,036 करोड़ रुपये की मंजूरी मिल चुकी है।

मध्यप्रदेश में 170 किलोमीटर लंबी रेल लाइन, 18 स्टेशन होंगे शामिल

इस परियोजना का 170.56 किमी हिस्सा मध्य प्रदेश में आएगा, जिसमें 905 हेक्टेयर भूमि निजी स्वामित्व में है। इस हिस्से में 18 नए रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें महू, केलोद, कमदपुर और झाड़ी बरोदा शामिल हैं।

इंदौर और धुलिया जिले के 59 गांवों में भूमि अधिग्रहण

इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना के लिए इंदौर जिले के 22 और धुलिया जिले के 37 गांवों का भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। रेल मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इंदौर जिले के स्कीम-74, खेड़ी (इस्तमुरार), चेनपुरा, खुदालपुरा, कुराड़ाखेड़ी और अन्य गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा।

इंदौर से मुंबई की दूरी 568 किमी होगी, यात्री और माल परिवहन को मिलेगा लाभ

इस परियोजना के पूरा होने से इंदौर से मुंबई की दूरी 830 किलोमीटर से घटकर 568 किलोमीटर रह जाएगी। रेलवे ने भू-स्वामियों को उचित मुआवजा देने का आश्वासन दिया है।

16 जोड़ी यात्री ट्रेनों का संचालन, हर साल 50 लाख यात्रियों को लाभ

रेलवे द्वारा इस प्रोजेक्ट के तहत 16 जोड़ी यात्री ट्रेनों का संचालन किया जाएगा, जिससे सालाना 50 लाख यात्रियों को फायदा होगा। इस परियोजना से रेलवे को प्रतिवर्ष 900 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है।

पहाड़ों को चीरकर बनेंगी 17.66 किमी लंबी सुरंगें, 94 बड़े पुलों का निर्माण

इस परियोजना में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में कुल 94 बड़े पुल बनाए जाएंगे, जिसमें मध्यप्रदेश में 50 और महाराष्ट्र में 44 शामिल होंगे। इसके अलावा, मध्यप्रदेश में 17.66 किमी लंबी सात सुरंगें बनेंगी, जिनमें सबसे लंबी सुरंग 6.02 किमी की होगी। महाराष्ट्र में दो सुरंगों की कुल लंबाई 3.50 किमी होगी।

होलकर शासनकाल से प्रस्तावित थी यह रेल परियोजना

इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना का प्रस्ताव सबसे पहले 1918 में होलकर राज्य के आर्किटेक्ट पैट्रिक गिडीस ने दिया था। 2002 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने इस परियोजना के लिए सर्वे की मंजूरी दी थी। हालांकि, विभिन्न कारणों से यह प्रोजेक्ट लंबित रहा। अब इसे गति शक्ति योजना के तहत शामिल कर लिया गया है और पीएमओ की निगरानी में इसका कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

आदिवासी अंचलों को पहली बार मिलेगी रेल सुविधा

इस परियोजना के तहत धार, खरगोन और बड़वानी जिले के आदिवासी क्षेत्रों को पहली बार रेल संपर्क मिलेगा। यह न केवल यात्री परिवहन के लिए बल्कि औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

परियोजना से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:

  • 309 किमी लंबी रेल लाइन इंदौर से मनमाड़ तक बनेगी।
  • 18,036 करोड़ रुपये की स्वीकृति केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई।
  • 16 जोड़ी यात्री ट्रेनों का संचालन प्रारंभिक वर्षों में होगा।
  • 830 किमी से घटकर 568 किमी रह जाएगी इंदौर से मुंबई की दूरी।
  • मध्यप्रदेश में 18 नए रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे।
  • 94 बड़े पुल, 35 रेल ओवरब्रिज और 141 अंडरब्रिज बनाए जाएंगे।

इस परियोजना के पूरा होने से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के हजारों गांवों को बेहतर रेल संपर्क मिलेगा और औद्योगिक क्षेत्रों को नई गति मिलेगी।

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