इंदौर में 6.63 लाख फर्जी समग्र आईडी का खुलासा, पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने भाजपा सरकार पर लगाए करोड़ों के घोटाले के आरोप

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सज्जन वर्मा ने लगाए गंभीर आरोप।

इंदौर। मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी पहचान योजना "समग्र आईडी" को लेकर इंदौर से चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार, शहर के 22 झोन में 6.63 लाख फर्जी समग्र आईडी पाई गई हैं। इस खुलासे के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है।

पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने इस पर भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि इन फर्जी समग्र आईडी के ज़रिए करोड़ों रुपए की सरकारी योजनाओं में घोटाला किया गया है। उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

🔍 सरकार ने की जांच शुरू, कलेक्टरों को निर्देश

प्रदेश सरकार ने सभी जिलों के कलेक्टरों को आदेश दिया है कि 7.21 लाख फर्जी समग्र आईडी की जांच की जाए और उन्हें पोर्टल से हटाया जाए। इंदौर नगर निगम ने भी तेजी से कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट में बताया कि सिर्फ इंदौर में ही 6.63 लाख फर्जी आईडी पाई गई हैं। जांच के लिए प्रत्येक झोन में प्रभारी भी नियुक्त किए गए हैं।

🗣️ विपक्ष का तीखा हमला: "भाजपा सरकार का भ्रष्टाचार साफ है"

कांग्रेस नेता सज्जन वर्मा ने कहा,

  • “समग्र आईडी गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने का ज़रिया है। अगर सिर्फ इंदौर में 6.63 लाख फर्जी आईडी हैं, तो अब तक इनमें कितना राशन, कितनी पेंशन और कितना पैसा बंटा?”

उन्होंने इसे भाजपा शासन का "स्पष्ट भ्रष्टाचार" करार देते हुए कहा कि सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर जवाब देना चाहिए।

📜 पहले भी उजागर हो चुके हैं फर्जीवाड़े

वर्मा ने याद दिलाया कि पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह के समय वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना में भी 13,502 फर्जी परिवार सामने आए थे। इसके अलावा, 2.60 लाख फर्जी मतदाता नामों को भी हटाया गया था।

🌍 यह केवल इंदौर नहीं, देशभर में फैला है नेटवर्क

वर्मा ने दावा किया कि यह घोटाला सिर्फ इंदौर तक सीमित नहीं है। कर्नाटक में 27 लाख और महाराष्ट्र में 47 लाख फर्जी मतदाता जुड़े थे। राहुल गांधी ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है और संसद से लेकर सड़कों तक विरोध दर्ज कराया है।

🏛️ कांग्रेस की मांग: हो निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई

पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने संभागायुक्त और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए गंभीर जांच की मांग की है। वर्मा ने कहा,

  • "इंदौर अब सिर्फ सफाई में नंबर 1 नहीं, फर्जीवाड़े में भी नंबर 1 बन गया है।"

🧾 निष्कर्ष:

फर्जी समग्र आईडी घोटाले ने नगर निगम की कार्यप्रणाली और राज्य सरकार की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल एक तकनीकी लापरवाही नहीं, बल्कि व्यवस्थित भ्रष्टाचार का संकेत देता है। जनता, प्रशासन और न्यायपालिका – तीनों की निगाह अब इस जांच पर टिकी हुई है। 


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