भागवत बोले- इतिहास में भारत नहीं, बदलाव जरूरी

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भागवत बोले - इतिहास में भारत नहीं, बदलाव जरूरी | RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान

मोहन भागवत ने कहा- दुनिया को नई दिशा भारतीयता से ही मिलेगी। (file)

मोहन भागवत ने कहा: "भारत को समझने और सही रूप में प्रस्तुत करने की जरूरत है, न कि पश्चिमी नजरिए से देखे गए भारत को।"

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने पाठ्यक्रमों में बदलाव की वकालत करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि भारत की सच्ची तस्वीर शिक्षा के माध्यम से सामने लाई जाए। उन्होंने कहा कि इतिहास आज भी पश्चिमी नजरिए से लिखा जा रहा है, जिसमें भारत का कोई अस्तित्व नजर नहीं आता।

"विश्व के मन में भारत नहीं है, उनकी किताबों में चीन और जापान हैं, लेकिन भारत गायब है।"
— मोहन भागवत

भारत की दृष्टि से ही मिलेगा नई दुनिया को मार्ग

दिल्ली में आयोजित IGNOU और अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के संयुक्त कार्यक्रम में बोलते हुए भागवत ने कहा कि विश्व को अब एक नई दिशा चाहिए और वह दिशा भारतीयता से ही मिल सकती है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी भौतिकवाद ने दुनिया को केवल अशांति और संघर्ष दिया है।

2 हजार सालों में असफल रही पश्चिम की सोच

भागवत ने कहा कि पिछले दो हजार सालों से इंसान को सुखी बनाने के प्रयास असफल रहे हैं। भौतिक सुख तो बढ़े, लेकिन मानसिक शांति नहीं मिली।

RSS से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य:

तथ्य जानकारी
स्थापना 27 सितंबर 1925, नागपुर
संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार
शाखाएं 56,000+
प्रमुख संगठन सेवा भारती, विद्या भारती, संस्कार भारती, बजरंग दल

मोहन भागवत के प्रमुख बिंदु:

  • इतिहास को भारत केंद्रित बनाना जरूरी
  • दुनिया को भारतीय दृष्टिकोण की जरूरत
  • भौतिकता से शांति नहीं, भारतीयता से समाधान
  • भारत एक विचार है, केवल नागरिकता नहीं
  • धर्म आधारित जीवन ही मोक्ष तक पहुंचा सकता है

संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि हर भारतीय को अपने जीवन में आत्ममंथन करते हुए तय करना चाहिए कि क्या वे भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार जीवन जी रहे हैं या नहीं। उन्होंने समाज में सुधार और बदलाव के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने की अपील की।


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