नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाते हुए कहा कि "राजनीतिक लड़ाइयां चुनाव के ज़रिए लड़ी जाएं, जांच एजेंसियों के ज़रिए नहीं।"
मुख्य बातें:
- सुप्रीम कोर्ट ने ED को चेतावनी दी: "मुंह मत खुलवाइए, टिप्पणी करनी पड़ेगी"
- CM सिद्धारमैया की पत्नी को समन भेजा था, कोर्ट ने रद्द किया
- ED की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया
क्या है MUDA घोटाला?
1992 में मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने किसानों से जमीन लेकर स्कीम के तहत साइट देने का वादा किया। लेकिन इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई।
MUDA घोटाले का टाइमलाइन:
| साल | घटना |
|---|---|
| 1992 | MUDA ने किसानों से जमीन अधिग्रहित की |
| 2004 | CM की पत्नी के भाई ने ज़मीन खरीदी |
| 2010 | वही ज़मीन CM की पत्नी को गिफ्ट की गई |
| 2022 | 14 साइट्स का आवंटन CM की पत्नी को |
RTI में खुलासा:
एक RTI एक्टिविस्ट ने बताया कि MUDA ने पिछले 4 सालों में 6000 से ज्यादा प्लॉट बांटे। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे ₹4000 करोड़ का घोटाला बताया।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट संदेश: ED को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
