1 अक्टूबर 2019 की बात है… अपनी आवाज से लाखों दिलों को जीतने वालीं सुषमा नेकपुर उस दिन एक नया सपना लेकर बुलंदशहर गई थीं। वह राजनीति में कदम रखना चाहती थीं और उन्हें आश्वासन मिला था कि जल्द ही सत्ताधारी पार्टी की सदस्या दिलाई जाएगी। इसे लेकर वह काफी खुश थीं। उन्होंने तय किया कि इस खबर को सबसे पहले वह अपने लिव-इन पार्टनर गजेंद्र भाटी के साथ इसे शेयर करेंगी। सुषमा ग्रेटर नोएडा लौटीं। कार जैसे ही उनकी सोसाइटी के गेट पर पहुंची तो उन्होंने ड्राइवर सचिन से कहा- 'एक मिनट रुको, मैं दूध ले आऊं' ड्राइवर ने कार रोक दी। सुषमा जैसे ही नीचे उतरीं, उसी वक्त बाइक पर सवार दो नकाबपोश बदमाश वहां आ पहुंचे और उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। सुषमा खून से लथपथ होकर वहीं गिर पड़ीं। ड्राइवर तुरंत उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचा लेकिन तब तक उनकी सांसें थम गईं। इस हत्याकांड की जब जांच शुरू हुई तो ऐसे-ऐसे खुलासे हुए, जिसने हर किसी को हिला कर रख दिया। सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर सुषमा की हत्या के पीछे कौन था। क्या यह कोई राजनीतिक साजिश थी या फिर इसके पीछे कोई और गहरी चाल छुपी थी? आज अनसुनी दास्तान के 4 चैप्टर्स में पढ़िए नोएडा की सिंगर सुषमा नेकपुर हत्याकांड की उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के जहांगीरपुर थाना क्षेत्र के एक छोटे से गांव नेकपुर में एक जाट परिवार में सुषमा का जन्म हुआ। वह छह भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। सुषमा को बचपन से ही रागिनी और लोकगीतों का शौक था। 13 साल की उम्र में उन्होंने मंच पर गाना शुरू किया और 16 की उम्र तक सुषमा नेकपुर के नाम से पहचान बना ली। सुषमा की छोटी बहन सोनू को भी संगीत में रुचि थी, तो सुषमा ने उसे साथ जोड़ लिया। बड़ा मुकाम हासिल करने के लिए दोनों नोएडा चली गईं, जहां सिसोदिया म्यूजिक कंपनी ने उनके स्टेज शो रिकॉर्ड कर यूट्यूब और सीडी पर रिलीज करने शुरू किए। जल्द ही दोनों बहनें दिल्ली और हरियाणा में काफी मशहूर हो गईं। उन्हें जागरण और स्टेज शो के अच्छे ऑफर मिलने लगे। अपने करियर के दौरान सुषमा की मुलाकात गाजियाबाद के रहने वाले संदीप कौशिक से हुई। दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया। जब सुषमा के घरवालों ने उनकी शादी की बात शुरू की, तो उन्होंने संदीप का नाम लिया। परिवार को पहले दूसरी जाति में शादी पर ऐतराज था, लेकिन सुषमा ही परिवार का पालन पोषण करती थीं, ऐसे में फिर उन्होंने शादी के लिए हामी भर दी। शादी के बाद भी सुषमा अक्सर जागरण और शादी जैसे कार्यक्रमों में अपने ग्रुप के साथ जाती थीं, जिससे वह देर रात घर लौटती थीं। यह बात ससुरालवालों को पसंद नहीं आ रही थी। इसी वजह से सुषमा और संदीप के बीच अक्सर झगड़े होने लगे। लगातार तनाव और मनमुटाव से परेशान होकर सुषमा ने शादी के केवल आठ महीने बाद ही पति से अलग होने का फैसला कर लिया। सुषमा ने अपने परिवार के कहने पर गाजियाबाद कोर्ट में दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज करा दिया। यह केस करीब 2-3 साल चला। जब सुषमा का पति संदीप से तलाक का मामला चल रहा था, उसी दौरान उनकी मुलाकात गजेंद्र भाटी नाम के शख्स से हुई। गजेंद्र बिलासपुर का रहने वाला था और एक जमीनदार परिवार से ताल्लुक रखता था। वह पहले से शादीशुदा था और उसके तीन बच्चे भी थे। गजेंद्र को सुषमा की आवाज बहुत पसंद थी। एक दिन वह सुषमा से एक भजन कैसेट रिकॉर्ड करवाने पहुंचा। आमतौर पर सुषमा और उनकी बहन सोनू साथ में गाना रिकॉर्ड करती थीं, लेकिन गजेंद्र चाहता था कि यह भजन सिर्फ सुषमा ही गाएं। इसके लिए उसने उन्हें मनचाही रकम भी दी, जिससे सुषमा भी इंप्रेस हुईं। दोनों के बीच दोस्ती हुई और फिर प्यार हो गया। कुछ समय बाद दोनों ने लिव-इन में रहने का फैसला किया। उस समय सुषमा का तलाक भी नहीं हुआ था, इसलिए उन्होंने अपने रिश्ते को दुनिया से छिपा कर रखा। उधर, कानूनी परेशानियों से तंग आकर संदीप ने कोर्ट के बाहर समझौता करने का फैसला लिया। उसने सुषमा को 10 लाख रुपए मुआवजा देकर मामला सुलझा लिया और दोनों की आपसी सहमति से 2014 में तलाक हो गया। इसके बाद सुषमा ने परिवार को गजेंद्र के बारे में बता दिया। गजेंद्र ने सुषमा से वादा किया कि वह जल्द ही अपनी पत्नी से तलाक लेकर उससे शादी करेगा। सुषमा की जिद पर गजेंद्र ने एक दिन मंदिर में जाकर पुजारी के सामने सुषमा को माला पहनाई और मांग में सिंदूर भरकर उसे पत्नी मान लिया और वादा किया कि वह जल्द ही तलाक लेकर उससे पूरे समाज के सामने शादी करेगा। सुषमा ने उस वक्त गजेंद्र की बातों पर पूरी तरह भरोसा कर लिया। उनके दो बच्चे भी हुए। लेकिन समय बीतने के साथ जब सुषमा ने गजेंद्र पर समाज के सामने शादी करने का दबाव बनाना शुरू किया, तो परिस्थितियां बदलने लगीं। गजेंद्र बार-बार शादी की बात को टालने लगा, जिस कारण अब सुषमा को डर सताने लगा कि कहीं गजेंद्र उन्हें छोड़ न दे। ऐसे में वह गजेंद्र पर जल्द शादी और प्रॉपर्टी उनके नाम करने की मांग करने लगीं। हालांकि, गजेंद्र ने बच्चों के लिए ग्रेटर नोएडा की मित्रा एनक्लेव सोसाइटी में एक फ्लैट खरीदा, जहां सुषमा बहन और बच्चों के साथ रहने लगीं। लेकिन इस मकान की रजिस्ट्री गजेंद्र ने अपने नाम करवाई थी। यही बात सुषमा को खटकने लगी और दोनों के बीच आए दिन झगड़े होने लगे। ऐसे में गजेंद्र को लगने लगा की अब उसके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बातों को काबू में लाने के लिए उसने स्टूल पर चढ़कर फांसी लगाने का नाटक किया था। लेकिन उसका पैर स्टूल से ऐसे फिसला की वो वही लटक गया। हालांकि, जैसे-तैसे सुषमा और सोनू ने उसे बचा लिया। इसके बाद कुछ दिनों तक सब कुछ नॉर्मल रहा। लेकिन फिर सुषमा ने शादी और बच्चों के हक की मांगें शुरू कर दीं। इससे परेशान होकर गजेंद्र ने सुषमा की हत्या की योजना बना डाली, जिसके तहत सबसे पहले उसने सुषमा के मोबाइल पर कुछ अज्ञात लोगों से जान से मारने की धमकियां दिलवानी शुरू कीं। लगातार मिल रही धमकियों को लेकर जब सुषमा ने गजेंद्र से बात की, तो गजेंद्र ने उन्हें विश्वास दिलाया कि यह सब उसका पहला पति संदीप करवा रहा है, ताकि वह सुषमा को परेशान कर सके। इसी दौरान गजेंद्र को शक होने लगा था कि सुषमा का किसी और के साथ भी संबंध हो सकता है, क्योंकि वह अक्सर घर से बाहर रहने लगी थीं। इसके बाद गजेंद्र ने एक साजिश रची। उसने सबसे पहले अपने पुराने ड्राइवर अमित को इसमें शामिल किया और कहा कि सुषमा आजकल बहुत परेशान कर रही है। कोई ऐसा आदमी बताओ जो इसका काम तमाम कर दे और शक मुझ पर भी न जाए। पैसों की कोई चिंता नहीं, सारा खर्च मैं उठाऊंगा। अमित, जो गजेंद्र का भरोसेमंद ड्राइवर था, उसने यह बात अपने एक करीबी को बताई। इसके बाद सुषमा की हत्या की योजना बनाई गई और सुपारी के तौर पर 15 लाख रुपए की मांग की गई। हालांकि, बाद में 8 लाख रुपए में सौदा तय हुआ। सबसे पहले आरोपी ने एक क्लाइंट बनकर सुषमा से संपर्क किया और उसे 19 अगस्त 2019 को अपने गांव में एक रागिनी कार्यक्रम में गाने के लिए बुलाया और कहा कि 15 हजार रुपए मिलेंगे। सुषमा अपनी टीम के साथ कार्यक्रम में पहुंच गईं। लेकिन वहां पहुंचने पर न तो उनका स्वागत हुआ और न ही लोग मौजूद थे। सुषमा को यह बात बहुत अजीब लगी। तभी उनकी टीम पर आरोप लगने लगे कि वह कार्यक्रम में देर से पहुंचीं। आयोजक बने आरोपी से उनकी कहासुनी हो गई, जो धीरे-धीरे झगड़े और हाथापाई तक पहुंच गई। मामला बिगड़ता देख सुषमा ड्राइवर सचिन के साथ तुरंत वहां से निकल गईं। इसके बाद सुषमा ने बुलंदशहर कोतवाली देहात में इस घटना को लेकर एक मामला दर्ज कराया। जब वह ग्रेटर नोएडा पहुंचीं और गजेंद्र को पूरी घटना की जानकारी दी, तो गजेंद्र ने फिर वही कहा कि इस हमले के पीछे भी संदीप और उसके लोगों का हाथ है। गजेंद्र पर शक न हो, इसके लिए उसने सुषमा से कहा कि वह जहां भी जाए, उसकी पूरी जानकारी उसे देती रहे, ताकि उसे यह मालूम रहे कि वह कहां हैं और क्या कर रही हैं। पहली साजिश के बावजूद सुषमा की जान बच गई, जिससे गजेंद्र आरोपियों पर भड़क उठा। इस बीच आरोपियों ने गजेंद्र को आश्वासन दिया कि अगली बार मौका मिलते ही वे सुषमा की हत्या को अंजाम देंगे, नहीं तो वे अपना चेहरा भी नहीं दिखाएंगे। इसके बाद साजिश को अंजाम देने के लिए आरोपियों ने कुछ और लोगों को शामिल कर लिया और उन्हें दो लाख रुपए भी दे दिए गए। उधर, बुलंदशहर कोतवाली देहात की पुलिस भी मामले की जांच में जुटी हुई थी। इस दौरान सुषमा भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना चाहती थीं। गजेंद्र को यह डर सताने लगा कि अगर सुषमा सत्ताधारी पार्टी से जुड़ गईं, तो मारना मुश्किल हो जाएगा। इसी वजह से उसने दो आरोपियों को 15 सितंबर 2019 को उसी सोसाइटी में एक फ्लैट किराए पर लेकर दे दिया, जिसमें सुषमा रहा करती थीं। 1 अक्टूबर, 2019 को जब सुषमा बीजेपी जिला अध्यक्ष हिमांशु मित्तल से मिलने बुलंदशहर गई थीं। इस दौरान सुषमा से कहा गया था कि जल्द ही पार्टी की सदस्यता दिलाई जाएगी। इसी बीच गजेंद्र बार-बार सुषमा को कॉल कर रहा था और उसकी लाइव लोकेशन मांग रहा था। जैसे ही शाम छह बजे गजेंद्र की सुषमा से हुई बात से ये पता चल गया की अगले दो घंटे के भीतर सुषमा घर लौट आएगी तो उसने शूटर्स को भी बता दिया। गजेंद्र ने उन्हें ये भी बता दिया था सुषमा गेट पर ही गाड़ी से उतर जाएगी, क्योंकि उसने सोसाइटी के बाहर दूध लाने के लिए बोला है। इसके बाद जैसे ही सुषमा की गाड़ी गेट पर पहुंचीं और दूध लेने के लिए वह नीचे उतरीं तो ठीक उसी समय दोनों शूटर्स ने बाइक स्टार्ट की और सुषमा पर ताबड़तोड़ चार गोलियां चला दीं। मुश्किल से दो से तीन मिनट में ही आरोपियों वहां से भाग निकले। करीब दो किलोमीटर दूर जाने के बाद उन्होंने मोबाइल से सिम निकाल कर उसमें अपना पुराना सिम डाला और उससे गजेंद्र के पर्सनल नंबर पर फोन करके सूचना दी कि उन्होंने अपना काम कर दिया है। वहां अस्पताल जाते-जाते सुषमा की मौत हो चुकी थी। पोस्टमार्टम के बाद गजेंद्र सुषमा के गांव नेकपुर भी पहुंचा था और उसने ही सुषमा के शव को मुखाग्नि भी दी थी। यही कारण था की सुषमा के परिवारजनों को उस पर जरा भी शक नहीं हुआ था। सुषमा संगीत की दुनिया में जाना पहचाना नाम थीं। ऐसें में पुलिस अधिकारी ने मामले में बिना लापरवाही दिखाए जांच शुरू कर दी। पुलिस पुछताछ में सोनू ने पहले तो किसी पर शक नहीं जताया हालांकि, बाद में बाद में उसने पुलिस से कहा कि हेलमेट लगाने वाले हमलावर मित्रा एनक्लेव सोसाइटी में रहने वाले ब्रिजेश की बाइक पर सवार थे। पुलिस ने जब सोसाइटी में रहने वाले ब्रिजेश से पूछताछ की तो पता चला उसके पास तो बाइक है ही नहीं। वह सुषमा को जानता भी नहीं है। जब जांच अधिकारी ने सोनू से इस बारे में बात की तो उसने बताया की यह शिकायत उसके जीजा गजेंद्र भाटी ने लिखकर उसे दी थी। बस इसी के बाद भाटी शक के दायरे में आ गया। लेकिन पुलिस का शक अब और मजबूत हो गया, जब अगले दिन सोनू ने जांच अधिकारी के सामने एक नया खुलासा किया। सोनू ने कहा सुषमा और गजेंद्र में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। इसीलिए सोनू ने वारदात के बाद ही गजेंद्र से पूछ लिया था की गजेंद्र सच बताओ इसके पीछे किसका हाथ है। सुषमा का अंतिम संस्कार करने के बाद गजेंद्र ने सोनू से कहा कि तुम तो जानती ही हो की सुषमा ने किस तरह मेरी जिंदगी को नरक करके रख दिया था इसलिए मजबूरी में मुझे ही तुम्हारी दीदी को मारना पड़ा। हालांकि, उसने सोनू को लालच दिया कि वह किसी तरह पुलिस को बरगला कर इस मामले को शांत करवा दे। इसके बदले वह उसे पचास लाख रुपया दे देगा। इसी के बाद पुलिस ने गजेंद्र और सुषमा के मोबाइल की डिटेल्स निकाली। काल डिटेल्स से पता चला की जिस वक्त सुषमा को गोली लगी उसके कुछ देर बाद गजेंद्र के मोबाइल पर एक अलग नंबर से कॉल आई थी। इस जांच के बाद कड़ियों से कड़िया जुड़ती चली गयी और पुलिस टीम ने गजेंद्र उसके ड्राइवर अमित, उसके चाचा अजब सिंह, प्रमोद, संदीप और मुकेश को संदेह के दायरे में रखकर जांच आगे बढ़ानी शुरू कर दी। तब तक पुलिस ने गजेंद्र को ये आभास नहीं होने दिया की वह शक के दायरे में है। इसी दौरान मुठभड़े में पुलिस के हाथ दो आरोपी लग गए, जिनका नाम संदीप और मुकेश था। उन्होंने पुलिस बयान में सभी जूर्म कूबल लिया। पुलिस ने वह मोटर साइकिल भी बरामद कर ली जिसे हत्या को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किया गया था। पूछताछ में पता चला की गजेंद्र पिछले कई महीनों से सुषमा से छुटकारा पाने की साजिश बनाने में जुटा था। किसी को उस पर शक ना हो इसके लिए उसने वारदात के बाद सुषमा के एक्स पति संदीप कौशिक के खिलाफ सुषमा के मन में जहर भरना शुरू कर दिया था ताकि सुषमा की हत्या के बाद उसपर शक न जाए। हालांकि, पुलिस ने इस मामले में गजेंद्र समेत छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
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राजनीति में जाने वाली थीं सिंगर, फिर हो गई हत्या:नकाबपोश शूटर्स ने रेकी कर चलाईं गोलियां, लिव-इन पार्टनर पर बना रही थीं शादी का दबाव
June 21, 2025
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