भीषण गर्मी का कहर: राजस्थान से आ रही गर्म हवाओं ने बढ़ाया मध्य प्रदेश का तापमान

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नई दिल्ली/भोपाल/जयपुर – राजस्थान समेत पश्चिमी राज्यों से आने वाली गर्म हवाओं ने मध्य प्रदेश का पारा चढ़ा दिया है। बुधवार को प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान तेजी से बढ़ा और छह जिलों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया। राजधानी भोपाल में इस सीजन में पहली बार तापमान 38.8 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3.3 डिग्री अधिक है।

राजस्थान में 41 डिग्री पार, लेकिन राहत के आसार

राजस्थान में बुधवार को अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। हालांकि, पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से सीमावर्ती जिलों में तेज आंधी के साथ हल्की बारिश की संभावना जताई गई है। इससे तापमान में 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट हो सकती है।

10 राज्यों में तूफान की चेतावनी

मौसम विभाग ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में हल्की बारिश और बर्फबारी का अलर्ट जारी किया है। वहीं, दिल्ली-हरियाणा समेत 10 राज्यों में 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं और हल्की बारिश की संभावना भी है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गर्मी बनी रहेगी।

इस साल हीटवेव का असर ज्यादा होगा

मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल उत्तर-पश्चिम भारत में हीटवेव के दिनों की संख्या दोगुनी हो सकती है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में आमतौर पर 5-6 दिन हीटवेव चलती है, लेकिन इस बार यह 10-12 दिन तक चल सकती है।

मौसम वैज्ञानिक सोमा सेन रॉय ने कहा, "पश्चिमी और मध्य भारत में सामान्य से अधिक हीटवेव की स्थिति रह सकती है। 2024 भारत का सबसे गर्म साल दर्ज किया गया था, और 2025 में भी तापमान के रिकॉर्ड टूट सकते हैं।"

हीटवेव से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य

भारत में 13 राज्य हीटवेव से प्रभावित होते हैं, जिनमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र (विदर्भ), पश्चिम बंगाल, तटीय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं। आमतौर पर इन राज्यों में मार्च से जून तक भीषण गर्मी पड़ती है और कभी-कभी जुलाई में भी लू का असर बना रहता है।

हीटवेव कब और कैसे घोषित होती है?

जब किसी क्षेत्र में तापमान सामान्य से अधिक हो और तेज लू चलने लगे, तो उसे हीटवेव माना जाता है। भारत में हीटवेव तब मानी जाती है जब मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो जाए।

अगर तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री अधिक हो तो इसे हीटवेव और 6.4 डिग्री अधिक होने पर इसे गंभीर हीटवेव (सीवियर हीटवेव) कहा जाता है।

गर्मी का सीजन कब रहता है?


भारत में गर्मी के मौसम को तीन हिस्सों में बांटा जाता है:

  1. प्री-समर (मार्च-अप्रैल)गर्मी की शुरुआत होती है और अप्रैल के पहले सप्ताह से लू चलने लगती है।
  2. पीक समर (मई-मध्य जून) इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है। सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे तापमान तेजी से बढ़ता है।
  3. पोस्ट-समर (अंत जून-जुलाई)मानसून के आगमन के साथ तापमान में गिरावट आती है, लेकिन कई बार मानसूनी चक्र में देरी के कारण जुलाई में भीषण गर्मी पड़ सकती है।

भारत में बढ़ती गर्मी और लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव लोगों के स्वास्थ्य और जल स्रोतों पर गंभीर असर डाल सकती है। मौसम विभाग ने लोगों को सावधानी बरतने और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह दी है।

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